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Dainik Bhaskar ऑक्सीजन सपोर्ट पर भी गुनगुनाती रहीं शारदा सिन्हा, VIDEO:अस्पताल के बेड पर गाती दिखीं- सैयां निकस गए, मैं ना लड़ी थी...

अपने छठ गीतों से लोगों के दिलों में जगह बनाने वाली बिहार कोकिला शारदा सिन्हा अब हमारे बीच नहीं हैं। 72 साल की शारदा सिन्हा का मंगलवार रात दिल्ली एम्स में निधन हो गया। इस बीच उनका एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वे ऑक्सीजन सपोर्ट में भी अस्पताल के बेड पर बैठकर 'सैयां निकस गए,मैं ना लड़ी थी' गीत गुनगुना रही हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट में ये दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो उस वक्त का है, जब शारदा सिन्हा दिल्ली एम्स में भर्ती थीं। संगीत प्रेमियों के लिए यह वीडियो भावुक कर देने वाला है, जहां वह अपनी अंतिम घड़ी में भी संगीत से जुड़ी रहीं। छठ से ठीक पहले बेटे से गाना रिलीज करवाया शारदा सिन्हा का एक और वीडियो सामने आया है, जिसमें वे अपनी आखिरी गीत, "दुखवा मिटाईं छठी मइया....रउए आसरा हमार...सबके पुरवेली मनसा...हमरो सुनलीं पुकार" की शूटिंग करते नजर आ रही हैं। एक निजी चैनल से बात करते हुए उनके बेटे अंशुमान ने बताया कि 'मां और छठ एक दूसरे के पर्याय हैं। छठ उनके दिल के बेहद करीब है। इसलिए वो हर साल कुछ ना कुछ अपने दर्शकों के लिए जरूर लाती हैं। इस बार भी उन्होंने ICU से नया गाना रिलीज करने के लिए कहा था। मां ने कहा, 'मैं रहूं ना रहूं, लेकिन ये गीत मेरा अंतिम उपहार रहेगा। इस ऑडियो को रिलीज कर दो।' कल पटना में होगा शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार बिहार की मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का पार्थिव शरीर पटना के राजेन्द्र नगर स्थित आवास पर रखा गया है। सीएम नीतीश कुमार ने घर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। कल (गुरुवार) को उनका अंतिम संस्कार पटना के गुलबी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ होगा। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी गुरुवार शाम शारदा सिन्हा के राजेन्द्र नगर स्थित घर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देंगे। ब्लड इंफेक्शन से हुई मौत दिल्ली AIIMS ने बताया कि सेप्टिसीमिया की वजह से शारदा सिन्हा को रिफ्रैक्टरी शॉक हुआ और इससे उनकी मृत्यु हो गई। सेप्टिसीमिया से मतलब यह है कि शरीर के खून में बैक्टीरिया असर करने लगता है, जिससे गंभीर संक्रमण होता है। सीधे शब्दों में कहें तो शरीर का खून दूषित हो जाता है 26 अक्टूबर को तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें दिल्ली AIIMS में भर्ती कराया गया था। 3 नवंबर को हालत में सुधार होने पर प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट किया गया। लेकिन 4 नवंबर की शाम उनका ऑक्सीजन लेवल गिरने लगा, इ

Dainik Bhaskar नागौर में वायुसेना के हेलिकॉप्टर की खेत में इमरजेंसी लैंडिंग:तकनीकी खामी के चलते नीचे उतारा, 4 घंटे बाद भरी उड़ान

भारतीय वायुसेना के रूद्र हेलिकॉप्टर की नागौर के मेड़ता में इमरजेंसी लैंडिंग की गई। बताया जा रहा है कि तकनीकी खामी आने के कारण इसे जसनगर के खेत में लैंड कराया गया। तकनीकी खामी को दूर करने के बाद हेलिकॉप्टर ने फिर उड़ान भरी। दरअसल, वायुसेना के दो हेलिकॉप्टर जोधपुर से जयपुर की तरफ जा रहे थे। इस दौरान एक रुद्र हेलिकॉप्टर में पायलट को हेलिकॉप्टर में कुछ गड़बड़ी दिखी, इसलिए सावधानी रखते हुए उसे लैंड कराना पड़ा। मेड़ता डीएसपी रामकरण मलिंदा ने बताया- एक्सपर्ट की टीम पहुंची। जहां तकनीकी खामी ठीक होने के बाद हेलिकॉप्टर ने फिर उड़ान भरी। स्थानीय लोगों के मुताबिक सुबह दो हेलिकॉप्टर दिखाई दिए थे। कुछ देर बाद सवा 10 बजे एक हेलिकॉप्टर कस्बे के पास ही एक खेत में उतर गया। मेड़ता सिटी थाना पुलिस मौके पर पहुंची है। साथ ही इंडियन एयरफोर्स की एक्सपर्ट टीम भी मौके पर पहुंचकर हेलिकॉप्टरमें आई तकनीकी खराबी दूर किया। इसके बाद दोपहर 2:15 बजे हेलिकॉप्टर ने फिर उड़ान भरी। रुद्र की रफ्तार अधिकतम 268 किमी प्रतिघंटा है और रेंज 550 किलोमीटर है। यह हेलीकॉप्टर लगातार 3 घंटे 10 मिनट की उड़ान भर सकता है। अधिकतम 6500 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है। इसमें 20 mm की गन होती है, जो हवा से हवा में और हवा से जमीन पर हमला कर सकती है। इसके अलावा इसमें चार हार्डप्वाइंट्स होते हैं, जिनमें रॉकेट्स, मिसाइल और बम एक साथ लगाए जा सकते हैं। पहली बार 1999 करगिल युद्ध में इस हेलीकॉप्टर कमी महसूस हुई लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर ध्रुव हेलीकॉप्टर का विकसित रूप है। पहली बार इसकी 199 कारगिल युद्ध के दौरान इसकी कमी महसूस हुई थी। हालांकि, तब इसके विकसित रूप पर काम चल रहा था। सियाचिन हो, रेगिस्तान हो, जंगल हो, या फिर 13-15 हजार फीट ऊंचे हिमालय के पहाड़ हों, इस हेलीकॉप्टर ने ट्रायल्स के दौरान भारत के हर तरह के इलाकों में उड़ान भरने की क्षमता को प्रदर्शित किया था। इस हेलिकॉप्टर में लगे अत्याधुनिक एवियोनिक्स सिस्टम से दुश्मन न तो छिप सकता है, न ही इस पर हमला कर सकता है, क्योंकि ये सिस्टम इस हेलिकॉप्टर को मिसाइल का टारगेट बनते ही सूचना दे देते हैं। इसके अलावा राडार एंड लेजर वॉर्निंग सिस्टम लगा है। साथ ही शाफ और फ्लेयर डिस्पेंसर भी हैं, ताकि दुश्मन के मिसाइल और रॉकेटों को हवा में ध्वस्त किया जा सके।

Dainik Bhaskar हरदोई में भीषण सड़क हादसा, 10 की मौत:डीसीएम ने ऑटो को रौंदा; सड़क पर बिखरी लाशें

हरदोई में डीसीएम (ट्रक) ने ऑटो को रौंद दिया। हादसे में 10 लोगों की मौत हो गई। 5 गंभीर हैं, जिन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मरने वाले में 6 महिलाएं और 2 बच्चे शामिल हैं। टक्कर इतनी तेज थी कि ऑटो उछलकर दूर गिरा। पूरी छत उड़ गई। अंदर बैठी सवारियां बाहर गिरीं। सड़क पर लाशें बिखर गईं।हादसा बुधवार सुबह बिलग्राम थाना के रोशनपुर गांव के पास हुआ। पुलिस का कहना है कि ऑटो बिलग्राम की तरफ जा रहा था। अचानक बेकाबू होकर सड़क पर पटल गया, तभी डीसीएम ने ऑटो को रौंद दिया है। हादसे की तस्वीरें... खबर को लगातार अपडेट किया जा रहा है...

Dainik Bhaskar JK विधानसभा में 370 बहाली का प्रस्ताव पास:बीजेपी विधायकों का वेल में हंगामा, दस्तावेज की कॉपी फाड़ीं

जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने राज्य के स्पेशल स्टेटस (अनुच्छेद 370) को फिर से बहाल करने का प्रस्ताव पास किया है। बीजेपी विधायकों ने इसका विरोध किया। प्रस्ताव की कॉपियां फाड़ दीं और वेल में जाकर नारेबाजी की। बेंच पर चढ़कर हंगामा करते रहे, जिसके चलते सदन की कार्यवाही एक घंटे से ज्यादा समय के लिए स्थगित रही। प्रस्ताव में लिखा- सरकार जम्मू-कश्मीर के स्पेशल स्टेटस पर बात करे विधानसभा का सत्र शुरू होते ही डिप्टी सीएम सुरिंदर चौधरी ने यह प्रस्ताव रखा। इसमें कहा गया, ‘राज्य के स्पेशल स्टेटस और संवैधानिक गारंटियां महत्वपूर्ण हैं। यह जम्मू-कश्मीर की पहचान, कल्चर और लोगों के अधिकारों की सुरक्षा करता है। विधानसभा इसे एक तरफा हटाने पर चिंता व्यक्त करती है। भारत सरकार राज्य के स्पेशल स्टेटस को लेकर यहां के प्रतिनिधियों से बात करे। इसकी संवैधानिक बहाली पर काम किया जाए। विधानसभा इस बात पर जोर देती है कि यह बहाली नेशनल यूनिटी और जम्मू-कश्मीर के लोगों की इच्छाओं, दोनों को ध्यान में रख कर की जाए।' निर्दलीय विधायक शेख खुर्शीद और शब्बीर कुल्ले, पीसी प्रमुख सज्जाद लोन और पीडीपी विधायकों ने इसका समर्थन किया। BJP का आरोप- स्पीकर ने खुद ही ड्राफ्ट बनाया जम्मू विधानसभा में विपक्ष के नेता सुनील शर्मा समेत भाजपा के सभी विधायकों ने प्रस्ताव का विरोध किया। शर्मा ने कहा कि उनके पास जानकारी है कि स्पीकर ने मंगलवार (5 नवंबर) को मंत्रियों की बैठक बुलाई थी और खुद ही प्रस्ताव तैयार किया। वे इस दौरान स्पीकर हाय-हाय और पाकिस्तानी एजेंडा नहीं चलेगा जैसे नारे लगाते रहे। शर्मा ने यह भी पूछा कि जब LG के अभिभाषण पर चर्चा होनी थी तो प्रस्ताव कैसे लाया गया? उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव उन्हें मंजूर नहीं है। इसके बाद उन्होंने इसकी कॉपी फाड़कर वेल में फेंक दी। हंगामे के बीच विधानसभा स्पीकर अब्दुर रहीम राथर ने प्रस्ताव पर वोटिंग कराई। जिसके बाद प्रस्ताव बहुमत से पास कर दिया गया। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मेनिफेस्टो में किया था वादा केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के स्पेशल स्टेटस को खत्म कर दिया था। इस दौरान इसे दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया था। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने मेनिफेस्टो में इसकी बहाली के प्रयास करने का वादा किया था। प्रस्ताव पास होने के

Dainik Bhaskar एयरपोर्ट्स पर सिख कर्मचारी कृपाण नहीं पहन सकेंगे:सिविल एविएशन ने सुरक्षा कारणों का हवाला दिया; जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह बोले- धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन

भारत के एयरपोर्ट्स पर सिख कर्मचारी कृपाण नहीं पहन सकेंगे। इसको लेकर 30 अक्टूबर को द ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन (BCAS) ने ऑर्डर जारी किए थे। BCAS ने अपने आदेश में कहा कि एयरपोर्ट्स पर कार्यरत सिख कर्मचारियों को सुरक्षा के मद्देनजर कृपाण नहीं पहन सकेंगे। एक दिन पहले ही सभी एयरपोर्ट्स के कर्मचारियों को यह गाइडलाइन मिली। BCAS की तरफ से कहा गया है कि सिक्योरिटी प्रोटोकॉल की वजह से ये आदेश जारी किए गए। जिसके बाद विवाद शुरू हो गया। श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने इस निर्णय की आलोचना करते हुए इसे धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा कि सिख धर्म में कृपाण एक पवित्र प्रतीक है और इसे धारण करना एक धार्मिक अधिकार है। इस तरह के आदेश पहले भी जारी हुए हैं, जो सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करते हैं। एविएशन अथॉरिटी द्वारा सिखों को कृपाण न पहन कर ड्यूटी करने के आदेश गलत हैं। संविधान में धार्मिक प्रतीक पहनने की स्वतंत्रता ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा के भारतीय संविधान सिखों को अपने धार्मिक प्रतीकों को पहनने की स्वतंत्रता देता है। इसमें पांच ककार (केश, कड़ा, कंघा, कच्छा, और कृपाण) शामिल हैं, जो सिखों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ऐसे आदेश पहले भी सरकारी और निजी संस्थानों में जारी होते रहे हैं, जिससे सिख समुदाय में नाराजगी देखने को मिलती है। एयरपोर्ट पर कृपाण को लेकर हो चुके विवाद नियमों के अनुसार भारत में घरेलू उड़ानों में सिख यात्रियों को कृपाण ले जाने की अनुमति है। हालांकि, कृपाण की लंबाई 23 सेमी (9 इंच) से ज्यादा नहीं होनी चाहिए और ब्लेड की लंबाई 15 सेमी (6 इंच) से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

Dainik Bhaskar LMV ड्राइविंग लाइसेंसधारी 7500KG वजन वाले व्हीकल चला सकेंगे:सुप्रीम कोर्ट ने 2017 का फैसला बरकरार रखा; कहा- यह रोजी-रोटी से जुड़ा मुद्दा

सुप्रीम कोर्ट ने लाइट मोटर व्हीकल लाइसेंस होल्डर्स को 7,500 किलो तक वजन वाली गाड़ियां चलाने की परमिशन दे दी है। बुधवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई डेटा नहीं है जो साबित करता हो कि एलएमवी ड्राइविंग लाइसेंस होल्डर्स देश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं। जस्टिस ऋषिकेश रॉय समेत 4 जजों की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह मुद्दा एलएमवी ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाले ड्राइवरों की रोजी-रोटी से जुड़ा है। कोर्ट ने केंद्र से कानून में संशोधन प्रक्रिया जल्द पूरी करने को भी कहा। यह फैसला बीमा कंपनियों के लिए झटका माना जा रहा है, जो हादसों में एक निश्चित वजन के ट्रांसपोर्ट व्हीकल के शामिल होने और ड्राइवरों के नियमों के मुताबिक उन्हें चलाने के लिए अधिकृत न होने पर क्लेम खारिज कर रही थीं। 18 जुलाई 2023 को सुप्रीम कोर्ट की कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच ने इस कानूनी सवाल से जुड़ीं 76 याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की थी। प्रमुख याचिका बजाज अलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की तरफ से दाखिल की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का एनालिसिस 2017 के एक मामले से उठा था सवाल दरअसल यह सवाल तब उठा, जब 2017 में मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड मामले में सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने एक फैसला सुनाया था। तब कोर्ट ने कहा था- ऐसे ट्रांसपोर्ट व्हीकल, जिनका कुल वजन 7,500 किलोग्राम से ज्यादा नहीं है, उन्हें LMV यानी लाइट मोटर व्हीकल की परिभाषा से बाहर नहीं कर सकते हैं।

Dainik Bhaskar अकबरुद्दीन ओवैसी ने फिर किया '15 मिनट' का जिक्र:2012 में कहा था- 15 मिनट के लिए पुलिस हटा लो, पता चल जाएगा ताकतवर कौन

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी मंगलवार को संभाजीनगर में चुनाव कर रहे थे। इस दौरान अकबरुद्दीन ने कहा- "कैंपेनिंग का टाइम है 10 बजे, अभी 9:45 बजे हैं, अभी 15 मिनट बाकी हैं..." चुनावी सभा में आए लोगों से अकबरुद्दीन ने कहा, "अरे भाई 15 मिनट बाकी है, सब्र करिए, न वो मेरा पीछा छोड़ रही है न मैं उसका पीछा छोड़ रहा हूं। चल रही है मगर क्या गूंज है।" औवेसी के इस विवादित बयान को 12 साल पहले दिए गए भाषण से जोड़ा जा रहा है। दरअसल, 2012 में भी अकबरुद्दीन ने 15 मिनट वाला भड़काऊ बयान दिया था। तब कहा था- देश से 15 मिनट के लिए पुलिस हटा दो तो पता चल जाएगा कौन ताकतवर है। अकबरुद्दीन ने पार्टियों की गारंटी पर उठाए सवाल अकबरुद्दीन ने अपनी स्पीच में महाराष्ट्र के प्रमुख नेताओं को चुनौती दी और पूछा कि क्या शरद पवार, अजित पवार, उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे जैसे नेता चुनाव के बाद उनकी वफादारी की गारंटी दे सकते हैं। उन्होंने पूछा, "क्या शरद पवार यह आश्वासन देंगे कि वे चुनाव के बाद पीएम मोदी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे? औवेसी बोले- क्या अजित पवार वोटों की गिनती के बाद शरद पवार के पास वापस न लौटने का वादा कर सकते हैं? क्या उद्धव ठाकरे यह गारंटी देंगे कि वे भाजपा में फिर से शामिल नहीं होंगे? और, क्या एकनाथ शिंदे चुनाव के बाद ठाकरे गुट से दूर रहने की कसम खा सकते हैं?" विवादित बयान दिया तो जेल भी गए, लेकिन बरी हो गए 2012 में तेलंगाना के चंद्रयानगुट्‌टा से विधायक अकबरुद्दीन ने कहा था- हिंदुस्तान हम 25 करोड़ हैं, तुम 100 करोड़ हो न, ठीक है तुम तो हमसे इतने ज्यादा हो, 15 मिनट के लिए पुलिस को हटा लो हम बता देंगे कि किसमें हिम्मत है और कौन ताकतवर है। अकबरुद्दीन पर इस बयान की वजह से केस भी दर्ज हुआ था। वे जेल भी गए थे, लेकिन बाद में कोर्ट ने उन्हें संदेह के आधार पर बरी कर दिया था। लोकसभा सांसद असदुद्दीन औवेसी के भाई हैं अकबरुद्दीन अकबरुद्दीन औवेसी AIMIM चीफ और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन औवेसी के छोटे भाई हैं। वे तेलंगाना के चंद्रयानगुट्टा से छह बार के विधायक हैं। उनकी पार्टी महाराष्ट्र में 16 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जिसके प्रचार के लिए दोनों भाई फिलहाल महाराष्ट्र में ही हैं। 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में AIMIM ने 44 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे

Dainik Bhaskar जम्मू-कश्मीर में शहीद जवान का अंतिम संस्कार आज:आगर मालवा लाया गया पार्थिव शरीर; रास्ते में फूल बरसाकर लोगों ने दी श्रद्धांजलि

आगर जिले के सैन्य जवान बद्रीलाल यादव (32) जम्मू-कश्मीर के राजौरी में सड़क हादसे में शहीद हो गए। उनका एक साथी जवान घायल हुआ है। मंगलवार को उनका शव इंदौर एयरपोर्ट लाया गया। यहां से सड़क मार्ग से शव को पैतृक गांव नरवल लाया जा रहा है। पूरे रास्ते शहीद को लोगों ने फूल बरसाकर श्रद्धांजलि दी। गांव लाए जाने के बाद पहले अंतिम यात्रा निकाली जाएगी। इसके बाद गांव में ही अंतिम संस्कार किया जाएगा। शहीद की श्रद्धांजलि देने राज्य मंत्री गौतम टेटवाल भी आगर पहुंचे हैं। शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए जगह-जगह पुष्प वर्षा के लिए मंच बनाए गए हैं। शहीद के चाचा और रिटायर्ड फौजी निर्भय सिंह यादव ने दैनिक भास्कर को बताया कि ‘बद्रीलाल 63वीं राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन के इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिकल इंजीनियर (EME) विभाग में नायक पद पर थे। सोमवार रात को पेट्रोलिंग करने के दौरान यूनिट की एक गाड़ी खराब हो गई। बद्रीलाल और जयप्रकाश खराब गाड़ी को टोचन की मदद से यूनिट ला रहे थे। तभी हादसा हो गया, जिसमें बद्रीलाल शहीद हो गए, जबकि जयप्रकाश घायल हैं।’ शाम 7.30 बजे पत्नी से बात की, रात 8.40 बजे शहीद परिवार ने बताया कि सोमवार शाम 7.30 बजे बद्रीलाल की पत्नी निशा से मोबाइल पर बात हुई थी। गाड़ी खराब होने की जानकारी देते हुए उसने कहा था कि एक घंटे में यहां से यूनिट पहुंच जाऊंगा, फिर कॉल करता हूं..। फोन कट करने के करीब एक घंटे बाद ही रात 8.40 बजे हादसा हो गया। पहली और आखिरी पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर में ही रही 2012 में बतौर इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियर सेना में चयन के बाद बद्रीलाल की ट्रेनिंग भोपाल में हुई। उसके बाद वे जम्मू, पंजाब, साउथ सूडान, असम, सिकंदराबाद के बाद अभी जम्मू कश्मीर के राजौरी में पदस्थ थे। पिता किसान थे, भाई केबल फैक्ट्री में इंजीनियर बद्रीलाल का जन्म 2 मार्च 1992 को हुआ था। पिता हीरालाल खेती करते थे, जिनका निधन हो चुका है। परिवार में मां रूखमा बाई, पत्नी निशा, दो बेटे राजवीर और पीयूष हैं। बद्रीलाल का बड़ा भाई गोपाल पीथमपुर में केबल फैक्टरी में इंजीनियर है। दो बहनें भगवती और मीरा हैं। पिता के निधन और दोनों बेटों के गांव से बाहर चले जाने से खेती चाचा का परिवार संभाल रहा था। सीने की चौड़ाई कम पड़ी तो महू जाकर टिप्स लिए चाचा निर्भय सिंह ने बताया कि मैंने सेना 1987 में जॉइन की थी। परिवार का पहला शख्स था जिसने

Dainik Bhaskar भास्कर अपडेट्स:महाराष्ट्र बीजेपी ने पार्टी विरोधी हरकतों के चलते 40 नेता-कार्यकर्ताओं को पार्टी से निकाला

महाराष्ट्र बीजेपी पार्टी विरोधी कार्यशैली के कारण 37 विधानसभा क्षेत्रों के 40 कार्यकर्ता-नेताओं को पार्टी से निष्कासित किया है। पार्टी ने 40 नामों की लिस्ट भी जारी की है। आज की अन्य बड़ी खबरें... सुप्रीम कोर्ट के 3 इन हाउस पब्लिकेशन का लोकार्पण, राष्ट्रपति मुर्मू के साथ CJI चंद्रचूड़ भी रहे मौजूद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के तीन पब्लिकेशन लोकार्पण किया। इनमें राष्ट्र के लिए न्याय: भारत के सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्षों पर चिंतन, भारत में जेल: जेल मैनुअल का मानचित्रण और सुधार तथा भीड़भाड़ कम करने के उपाय और लॉ स्कूलों के माध्यम से कानूनी सहायता: भारत में कानूनी सहायता प्रकोष्ठों के कामकाज पर एक रिपोर्ट शामिल है। इस मौके पर CJI डीवाई चंद्रचूड़, अगले CJI जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी मौजूद थे।

Dainik Bhaskar वाराणसी हत्याकांड-पूरे परिवार को 2-2 गोलियां मारीं:3 बाहरी के फिंगर प्रिंट; गन नहीं मिली; शक-प्रोफेशनल किलर ने की वारदात

वाराणसी में करोड़पति शराब कारोबारी राजेंद्र गुप्ता के पूरे परिवार की हत्या की गई थी। पुलिस जांच अब इस दिशा में आगे बढ़ गई है। कल तक पत्नी और 3 बच्चों की हत्या के बाद राजेंद्र के सुसाइड की थ्योरी पलट गई है। इसकी 4 वजह... 1- कारोबारी के परिवार के 5 लोगों को 2-2 गोलियां मारीं। सिर और सीने में, जबकि एक बेटे को 3 गोली मारी गईं। 2- सभी 5 सदस्यों की हत्या एक तरह की गन से की गई। पहला और दूसरे क्राइम स्पॉट की दूरी 10 किमी है। दोनों जगह गन नहीं मिली। 3- कारोबारी राजेंद्र गुप्ता की न्यूड लाश मिली। उन्हें भी दो गोली मारी गई। सुसाइड करने वाला शख्स दो गोली खुद को नहीं मार सकता। 4- कारोबारी के घर में फोरेंसिक टीम को 3 बाहरी लोगों के फिंगर प्रिंट मिले, जो कारोबारी और उनके परिवार के नहीं हैं। दरअसल, वाराणसी के भदैनी इलाके में मंगलवार दोपहर को राजेंद्र गुप्ता की पत्नी नीतू गुप्ता (42), दो बेटे नवनेंद्र (25), सुबेंद्र (15) और बेटी गौरांगी (16) की लाश मिली। सभी की गोली मारकर हत्या की गई थी। पुलिस ने राजेंद्र गुप्ता (45) का फोन ट्रेस किया। इसकी लोकेशन रोहनिया के मीरापुर रामपुर गांव में मिली। पुलिस वहां पहुंची तो निर्माणाधीन मकान के एक कमरे में मच्छरदानी लगे बिस्तर पर राजेंद्र गुप्ता की न्यूड लाश मिली। बॉडी पर भी गन शॉट थे। कारोबारी का बड़ा बेटा नवनेंद्र बेंगलुरु में मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर था। छोटा बेटा और बेटी DPS में पढ़ते थे। दो किरदार सामने आए, नाम- जुगनू और विक्की पुलिस की शुरुआती जांच के आधार पर यह थ्योरी सामने आई कि कारोबारी ने पूरे परिवार की हत्या के बाद सुसाइड कर लिया। राजेंद्र गुप्ता, अपने पिता, भाई और गार्ड की हत्या में आरोपी रह चुका है। हालांकि, जब जांच आगे बढ़ी तो पुलिस की यह थ्योरी बदलना शुरू हो गई। पुलिस की जांच राजेंद्र के भाई कृष्णा गुप्ता के बेटों- जुगनू और विक्की पर टिक गई है। हत्या वाली रात (सोमवार) जुगनू और विक्की को देखा गया था। वह घर के पास ही मौजूद थे। राजेंद्र गुप्ता ने ही 27 साल पहले अपने भाई कृष्णा गुप्ता का मर्डर प्रॉपर्टी विवाद में किया था। जुगनू मंगलवार देर रात थाने पहुंचा। पुलिस उससे पूछताछ कर रही है, जबकि दूसरा बेटा विक्की की लोकेशन अहमदाबाद में मिली है। उसका फोन स्विच ऑफ जा रहा है। पुलिस अभी दोनों क्राइम स्पॉट, जिनकी दूरी 10-12 किमी है, उन रास्तों में

Dainik Bhaskar भास्कर ओपिनियन:महाराष्ट्र में गुरिल्ला युद्ध, झारखंड में आन की लड़ाई

महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव हैं। वक्त खड़ाऊ पहनकर तेजी से गुजर रहा है। कभी गेलेक्सी पर पाँव रखता। कभी पर्वतों को लांघता। कभी कायनात को पार करता…! झारखंड में मामला उतना पेचीदा नहीं है जितना महाराष्ट्र में। महाराष्ट्र के कई लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि आख़िर कौन सी शिवसेना असली? आख़िर कौन सी एनसीपी अपनी? सबकी चीर-फाड़ करके टुकड़े कर दिए गए हैं। ढूँढते रह जाओगे वाली शैली में। कहाँ जाएँ? किसको अपनाएँ, समझ में नहीं आता। इधर लोकसभा चुनाव में अपनी साइलेंट उपस्थिति दर्ज करवा चुके जरांगे पाटील ने एक बार फिर अपनी गुरिल्ला युद्धवाली नीति अपना ली है। मराठा आंदोलन से उपजे जरांगे ने पहले कहा था अपने प्रत्याशी खड़े करके चुनाव मैदान में उतरूंगा। फिर पलट गए। अब कह रहे हैं- लड़ेंगे नहीं, हराएँगे। इशारा साफ है कि मराठा बाहुल्य सीटों पर वे किसे नुक़सान पहुँचाने वाले हैं! पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने सीधे तौर पर भाजपा को चोट पहुँचाई थी। इस बार उनकी चोट किधर होगी, कितनी दमदार होगी, कहा नहीं जा सकता। वैसे, तब से अब तक गोदावरी में बहुत-सा पानी बह चुका है और भाजपा ने जरांगे की काट ढूँढ ली है। लाडकी बहना के रूप में। महाराष्ट्र में लाडकी बहना। झारखंड में झामुमो की मैया के मुकाबले दीदी। बहरहाल, नाम वापसी की तारीख़ बीत चुकी है और चुनाव जिताने और हराने के लिए जरांगे के अलावा भी कई लोग मैदान में उतर आए हैं। चुनावी भाषा में इन्हें बागी कहा जाता है। ये बागी जो हैं वो चुनाव जिताते भी हैं और हराते भी हैं। ये खड़े होते भी हैं। खड़े किए भी जाते हैं। वोटों को बाँटना या काटना ही इनका मुख्य काम होता है। जैसे- जैसे चुनाव की तारीख़ नजदीक आ रही है, नेता चिल्ला रहे हैं। बागीताल ठोंक रहे हैं। जैसे लोहारों की भट्टी में आग भड़कती है! जैसे कुम्हारों का आवा दहकने लगता है! मुनादी बजने लगी है दनादन। नगाड़ों पर ऐलान हो रहे हैं। रुकेगी नहीं ये लड़ाई। जिनके शब्दों के खन्जर तेज धार के साथ वार करते फिरते थे, अब मतदाताओं के सामने सजदे में बिछने लगे हैं। रबड़ के पेड़ों पर सूलियाँ टांगी हुई हैं। कोई किसी से कम नहीं। किसी को, किसी का डर नहीं। सबको सत्ता चाहिए। सबकी चाहत कुर्सी है। किसे मिलेगी, किसे नहीं, यह आम आदमी को तय करना है। मतदाताओं को नक्की करना है। लेकिन मतदाता चुप है। हमेशा से। अपने ही सिरहाने बैठकर, अपने

Dainik Bhaskar सुप्रीम कोर्ट में आज शरद पवार की याचिका पर सुनवाई:महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अजित गुट को 'घड़ी' चिह्न के इस्तेमाल से रोकने की मांग

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) के चुनाव चिह्न घड़ी को लेकर सुनवाई होगी। इसके लिए शरद पवार ने याचिका लगाई है। NCP दो गुट में बंट चुकी है। एक गुट अजित पवार का है और दूसरा शरद पवार का है। दोनों के बीच पार्टी के मूल चिन्ह घड़ी को लेकर विवाद है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में बीती 24 अक्टूबर को भी सुनवाई हुई थी, जिसमें कोर्ट ने अजित पवार गुट को राहत दी थी। अदालत ने कहा था कि अजित गुट की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में 'घड़ी' चिह्न का इस्तेमाल कर सकती है, लेकिन उसे चुनावी बैनर और पोस्टर्स में यह लिखना होगा कि यह विवाद का विषय है और कोर्ट में विचाराधीन है। जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने अजित पवार के वकील को निर्देश दिया था कि अजित गुट नया हलफनामा भी दाखिल करे। साथ ही चेतावनी दी कि यदि आदेश का उल्लंघन किया गया तो वह खुद ही अवमानना ​​का केस शुरू करेगी। दरअसल, शरद गुट की याचिका में कहा गया है कि अजित गुट अदालत का आदेश नहीं मान रहा है, इसलिए उसे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 'घड़ी' चिह्न के इस्तेमाल से रोका जाए। साथ ही अजित गुट को नए चिह्न के लिए आवेदन करने का निर्देश दिया जाए। कोर्ट बोला- आदेश न मानकर अपने लिए शर्मनाक हालात न बनाएं जस्टिस सूर्यकांत ने अजीत पवार के वकील बलवीर सिंह से कहा था- एक बार जब हमने निर्देश जारी कर दिया, तो उसका पालन करना होगा। आप जवाब दाखिल करें और एक नया हलफनामा दें कि अतीत में भी आपने उल्लंघन नहीं किया है और भविष्य में भी आप उल्लंघन नहीं करेंगे। हम उम्मीद करते हैं कि दोनों पक्ष हमारे निर्देशों का पालन करेंगे। अपने लिए शर्मनाक स्थिति न बनाएं। NCP के चुनाव चिह्न से जुड़ी पिछली 4 सुनवाई... महाराष्ट्र में 20 नवंबर को वोटिंग, 23 नवंबर को मतगणना चुनाव आयोग ने 15 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान किया था। राज्य में 20 नवंबर को सिंगल फेज में सभी 288 सीटों पर वोटिंग होगी। नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। पूरा मामला क्या है... 6 फरवरी: चुनाव आयोग ने अजीत गुट को असली NCP माना, शरद सुप्रीम कोर्ट पहुंचे 6 फरवरी को चुनाव आयोग के फैसले के बाद मुंबई में NCP कार्यालय में अजित पवार के समर्थकों ने जश्न मनाया। चुनाव आयोग ने भी इसी साल 6 फरवरी को अजित

Dainik Bhaskar कोलकाता रेप-मर्डर केस, सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई:बेंच नेशनल टास्क फोर्स की कार्रवाई पर असंतोषजनक जता चुकी; आरोपी पर आरोप तय

कोलकाता रेप-मर्डर केस को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। 15 अक्टूबर को हुई पिछली सुनवाई में कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स (NTF) के काम को लेकर असंतोष जताया था। साथ ही NTF को 3 हफ्ते के अंदर डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर अपने सुझाव देने के निर्देश दिए थे। CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच ने कहा था कि NTF को डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रोटोकॉल बनाने की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन ये बहुत धीमी गति से काम कर रहा है। कोर्ट ने कहा था कि NTF की पहली बैठक 27 अगस्त को हुई थी। हैरानी की बात है कि 9 सितंबर के बाद से कोई बैठक नहीं हुई। कोई प्रोग्रेस क्यों नहीं हुई? इस टास्क फोर्स को अपने काम में तेजी लानी होगी। वहीं, 4 नबंवर को पश्चिम बंगाल की सियालदह कोर्ट ने आरजी कर मामले के मुख्य आरोपी संजय रॉय के खिलाफ आरोप तय कर दिए। 11 नवंबर से मुकदमे की रोजाना सुनवाई होगी। कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में 8 अगस्त की रात ट्रेनी डॉक्टर का रेप और मर्डर किया गया था। 9 अगस्त को विक्टिम की बॉडी मिली थी। इसे लेकर डॉक्टरों ने 42 दिन तक देशभर में प्रदर्शन किया था। कोलकाता रेप-मर्डर केस में आरोपी पर 87 दिन बाद आरोप तय 4 नवंबर को सियालदह कोर्ट ने आरोपी संजय रॉय के खिलाफ आरोप तय कर दिए थे। 11 नवंबर से मुकदमे की रोजाना सुनवाई होगी। पेशी के बाद पुलिस जब संजय को बाहर लेकर निकली तो पहली बार वह कैमरे पर कहता नजर आया था कि ममता सरकार उसे फंसा रही है। उसे मुंह न खोलने की धमकी दी गई है। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने अपनी चार्जशीट में संजय रॉय को मुख्य आरोपी बताया है। इसके अलावा केस को गैंगरेप की बजाय रेप केस बताया है। चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि पीड़ित के शरीर से मिला सीमन सैंपल और खून आरोपी से मैच हो चुका है। वहीं क्राइम सीन पर मिले छोटे बाल भी फोरेंसिक जांच के बाद आरोपी के बालों से मैच हो गए हैं। CBI की चार्जशीट में 100 गवाहों के बयान, 12 पॉलीग्राफ टेस्ट की रिपोर्ट, CCTV फुटेज, फोरेंसिक रिपोर्ट, मोबाइल की कॉल डिटेल और लोकेशन जैसी चीजें शामिल हैं। इसके अलावा वारदात के दिन आरोपी का इयरफोन और मोबाइल ब्लूटूथ से कनेक्ट हो गया था। इसे भी चार्जशीट में अहम सबूत माना गया है। पूरी खबर पढ़ें.. आरजी की घटना के विरोध में डाक्टरों का आमरण अनशन जारी वहीं,

Dainik Bhaskar डिंपल बोलीं- BJP डरा रही:धमकाकर वोटिंग कराएगी, मैं खुद करहल में रहूंगी; ये परिवारों में बंटवारा करा देते हैं

यूपी में 9 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को उपचुनाव होने हैं। इसमें मैनपुरी की हॉट सीट करहल भी है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले अखिलेश यादव इसी सीट से विधायक थे। भाजपा ने यहां से अखिलेश के रिश्तेदार अनुजेश प्रताप को टिकट देकर माहौल गरमा दिया है। सपा का इस सीट पर 22 साल से लगातार कब्जा है। इस बार भी सपा यहां पर बडे़ अंतर से जीत हासिल करने के लिए मेहनत कर रही है। सपा सांसद डिंपल यादव लगातार क्षेत्र में सपा प्रत्याशी तेज प्रताप यादव के समर्थन में जनसभा कर रही हैं। दैनिक भास्कर से डिंपल ने कहा- भाजपा परिवारों को बांटने वाली पार्टी है। करहल में उन्हें कोई प्रत्याशी ही नहीं मिला। जनता इनका पूरा सच जान चुकी है। इनकी सोच यही रहती है कि कम वोट पड़वाएं। भाजपा धमकाकर अपने हक में वोटिंग कराएगी। ये 'बटेंगे तो कटेंगे' के नाम पर समाज को डरा रहे हैं। पूरा इंटरव्यू पढ़िए... सवाल : उपचुनाव को लेकर प्रचार कैसा चल रहा है? जवाब : चुनाव प्रचार बहुत अच्छा चल रहा है। लोगों का समर्थन मिल रहा है। प्रदेश के अलग-अलग जिलों से कार्यकर्ता प्रचार के लिए आए हैं। सवाल : भाजपा ने सैफई परिवार के अनुजेश को टिकट दिया, क्या लगता है? जवाब : भाजपा को करहल से कोई कैंडिडेट ही नहीं मिला। ये तो परिवार के खिलाफ वाली पार्टी है। ये परिवारों में बंटवारा करा देते हैं। हमारी लड़ाई विचारधारा, सम्मान और अधिकार की है। हमें लगता है कि इस लड़ाई में सपा को सर्व समाज और सभी वर्ग का साथ मिलेगा। सवाल : भाजपा 'बटेंगे तो कटेंगे' की बात कर रही है? जवाब : हम देख रहे हैं कि एक भाषण के बाद सभी लोग एक ही बात कह रहे हैं। किसी का ध्यान महिला सुरक्षा, बेरोजगारी और किसान की घटती आय पर नहीं है। ये भाजपा के विचार और मानसिकता को दर्शाता है। हमें समझ लेना चाहिए कि भाजपा का तौर-तरीका केवल वोट बटोरने का है। समाज सेवा करने का नहीं है। ये 'बटेंगे तो कटेंगे' के नाम पर समाज को डरा रहे हैं। सवाल : आपने और शिवपाल यादव ने चुनाव के दिन गड़बड़ी होने की आशंका जाहिर की है? जवाब : 2019 से लगातार चार चुनावों से ऐसा हो रहा है। इनके द्वारा ऐसी प्रणाली अपना ली गई है कि वोट कम पड़वाएं। लोगों को डराकर वोट न पड़ने दें। मगर, हम इसके खिलाफ लगातार आवाज उठा रहे हैं। भाजपा को भी पता है कि वो करहल विधानसभा चुनाव तो हरा नहीं सकती। लेकिन, वो वोटों की गिनती को कम करने में लगे ह

Dainik Bhaskar सुखबीर बादल के धार्मिक-राजनीतिक भविष्य पर आज विचार होगा:श्री अकाल तख्त साहिब पर बुद्धिजीवियों की बैठक बुलाई; SAD प्रमुख तनखैया घोषित हो चुके

शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के धार्मिक और राजनीतिक भविष्य के फैसले पर आज विचार होगा। श्री अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने श्री अकाल तख्त कार्यालय में महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जिसमें सिख विद्वानों और बुद्धिजीवियों के साथ मिलकर सुखबीर बादल के "तनखैया" मामले पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक में उन्हें दिए जाने वाली संभावित धार्मिक सजा पर विचार किया जाएगा। इस चर्चा में कुल 18 सिख विद्वान और बुद्धिजीवी भाग लेंगे। इन सदस्यों में अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार मंजीत सिंह, पंजाबी यूनिवर्सिटी के पूर्व VC जसपाल सिंह, इंद्रजीत सिंह गोगोआनी, अमरजीत सिंह, हरसिमरन सिंह, जसपाल सिंह सिद्धू और हमीर सिंह शामिल हैं। इनके अलावा कुछ वरिष्ठ पत्रकारों को भी आमंत्रित किया गया है। सुखबीर बादल पर लगे आरोप और "तनखैया" मामला अकाली दल से जुड़े असंतुष्ट नेताओं ने अकाली सरकार के दौरान (2007-2017) हुए कुछ धार्मिक फैसलों पर सवाल उठाए थे, जिन्हें उन्होंने सिख धर्म के हितों के विरुद्ध बताया। इसके बाद अकाल तख्त ने 30 अगस्त 2024 को सुखबीर बादल को तनखैया घोषित किया था, लेकिन अब तक कोई सजा नहीं दी गई। तनखैया घोषित किए जाने के कारण सुखबीर सिंह बादल को विधानसभा उपचुनावों में प्रचार या भाग लेने की अनुमति नहीं मिली थी। इसके चलते अकाली दल ने उपचुनावों से दूरी बना ली थी। हालांकि, सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी (SGPC) चुनाव में अकाली दल समर्थित उम्मीदवार अध्यक्ष बने हैं। किस प्रकार की सजा मिल सकती है? अकाल तख्त के दिशा-निर्देशों के तहत, तनखैया घोषित व्यक्ति को अक्सर गुरुद्वारे में सेवा करने जैसे कार्य सौंपे जाते हैं। जैसे कि जूते या फर्श साफ करना। आज की बैठक में इस बात पर विचार किया जाएगा कि सुखबीर बादल को किस प्रकार की धार्मिक सजा दी जा सकती है। इस फैसले से पहले जत्थेदारों की एक बैठक होगी, जिसमें सुखबीर बादल भी उपस्थित हो सकते हैं। इस निर्णय के आधार पर सुखबीर बादल के धार्मिक और राजनीतिक सफर पर बड़ा असर पड़ सकता है। क्या होता है तनखैया सिख पंथ के अनुसार कोई भी सिख अगर धार्मिक तौर पर कुछ गलत करता है तो उसे तनखैया करार दिया जाता है। इसका फैसला सिखों के सर्वोच्च तख्त श्री अकाल तख्त साहिब करते हैं। तनखैया घोषित होने के बाद व्यक्ति सिख संगत के समक्ष उपस्थित होकर अपनी गलती के लिए क्षमा मांग

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