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Dainik Bhaskar हरियाणा में प्रेमी संग मिलकर सास को मारा:परिजनों ने बहू पर लगाए आरोप, बोले- 8 साल पहले देवर को भी इसने मारा

हरियाणा के करनाल में दिवाली के दिन महिला की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। घटना ऊंचा समाना गांव की है। मृतका की पहचान सीनो (50) के रूप में हुई है। महिला के मायके पक्ष का आरोप है कि महिला की बहू ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर गला दबाकर उसकी हत्या की है। इसके बाद बहू प्रेमी संग फरार हो गई। उनका यह भी आरोप है कि महिला के देवर की भी 8 साल पहले मौत हुई थी, उसका शक भी परिजनों ने बहू पर ही जताया है। महिला की मौत की सूचना के बाद पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और शव कब्जे में ले लिया। गुरुवार को पोस्टमॉर्टम कराने के बाद पुलिस ने शव परिजनों के हवाले कर दिया। बच्चों के साथ गायब हुई बहू सीनो के भतीजे असमत ने बताया है कि गुरुवार सुबह साढ़े 4 बजे उसकी बुआ नमाज पढ़ रही थी। बुआ की बहू अलीशा ने अपने प्रेमी को घर बुलाकर उसकी हत्या करवा दी। अलीशा का पति प्राइवेट नौकरी करता है और उसकी रात की डयूटी होती है। सुबह जब वह काम खत्म कर घर आया तो उसकी मां घर में मृत पड़ी हुई थी। जबकि अलीशा अपने दोनों बच्चों के साथ घर से गायब थी। तबीयत खराब होने की जानकारी दी असमत ने बताया कि हमें सुबह बताया गया कि बुआ की तबीयत खराब हो गई है। जब हम मौके पर पहुंचे तो मेरी बुआ का शरीर पूरी तरह से नीला पड़ गया। उनके गले पर निशान थे और चेहरे पर मारपीट के निशान थे। हमें पूरा शक है कि उसकी बहू अलीशा ने ही उसके साथ यह किया है। बहू का पड़ोस के किसी युवक के साथ अफेयर है और वह युवक भी घटना के बाद से ही गायब है। पहले भी कई बार कर चुकी मारपीट असमत ने आगे बताया कि अलीशा ने पहले भी सास के साथ मारपीट की थी। एक बार बहू ने अपनी सास के हाथ पर डंडा मारकर उसका हाथ तोड़ दिया था। जिसके बाद पुलिस को शिकायत भी दी गई थी। फिर बहू को बेदखल भी कर दिया गया था, लेकिन उसके बावजूद भी बहू की हरकतें कम नहीं हुई। 8 साल पहले अलीशा के देवर की मौत हो गई थी। तब उसका शरीर भी नीला मिला था। हमें पूरा पूरा शक है कि उसे भी अलीशा ने दूध में जहर दिया था। अब अलीशा ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपनी सास को मौत के घाट उतार दिया और अपने दोनों बच्चों का लेकर भी फरार हो चुकी है। पुलिस बोली- नमाज पढ़ते हुए गिरी मधुबन थाना प्रभारी गौरव पूनिया ने बताया कि सीनो की मौत की सूचना मिली थी। मृतका के पति ने बताया था कि नमाज पढ़ते पढ़ते ही सीनो बेहोश होकर गिर गई थी। मायका पक्ष ने हत्या

Dainik Bhaskar कनाडा-भारत विवाद से इमिग्रेशन बिजनेस में 70% गिरावट:एक्सपर्ट बोले- वीजा में कमी नहीं, आवेदक कम हुए; ऑस्ट्रेलिया बना विकल्प

भारत और कनाडा के रिश्तों में आई खटास के कारण कई भारतीय इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि कूटनीतिक विवाद का इमिग्रेशन, वर्क और स्टूडेंट वीजा पर क्या असर होगा। क्या भविष्य में कनाडा के भारत से रिश्ते सुधरेंगे? क्या कनाडा फिर से उसी शिद्दत से वीजा देगा, जैसे पहले देता था या फिर कनाडा जाकर पढ़ाई करना भारतीय बच्चों के लिए सपना ही बना रहेगा? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए दैनिक भास्कर ने देश के कई प्रमुख वीजा विशेषज्ञों से बात की और सभी तथ्यों को समझा। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि मौजूदा कूटनीतिक विवाद का सीधा असर वीजा नीतियों पर पड़ने की संभावना थी। लेकिन ऐसा नहीं है कि कनाडा वीजा नहीं दे रहा, कनाडा वीजा दे रहा है। लेकिन कनाडा जाने वाले बच्चे और उनके अभिभावक इस समय अपने बच्चों को कनाडा नहीं भेज रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण इस समय कनाडा और भारत के बीच चल रहा विवाद है। कनाडा में स्टडी वीजा अनुपात में 70 प्रतिशत की गिरावट पिछले साल कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार पर कनाडा की धरती पर खालिस्तान समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था। जिसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। भारत ने इन आरोपों का जोरदार खंडन किया है और लगातार कर रहा है। जिसके बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक मतभेद पैदा हो गए। इसका सबसे बड़ा असर इमिग्रेशन इंडस्ट्री पर पड़ा है। कनाडा जाने वाले छात्रों की संख्या में करीब 70 प्रतिशत की गिरावट आई है। कनाडा जाने वाले लोगों में सबसे ज्यादा पंजाबी हैं। जिसके बाद हरियाणवी और गुजराती भी इस लिस्ट में सबसे ऊपर हैं। ऐसे में दोनों देशों के बीच विवाद के चलते कनाडा जाकर अपना भविष्य बनाने की चाहत रखने वाले छात्र कनाडा के बजाय कोई दूसरा विकल्प तलाशने लगे हैं। कनाडा के विकल्प के तौर पर कौन से देश छात्रों की पहली पसंद हैं? विशेषज्ञों के अनुसार कनाडा के वीज़ा में गिरावट सिर्फ़ दोनों देशों के बीच की कड़वाहट की वजह से है। साथ ही, दूसरी सबसे बड़ी वजह यह है कि कनाडा ने अपने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में एडमिशन के लिए जीआईसी अकाउंट की राशि को दोगुना कर दिया है। ऐसे में भारतीय छात्र फिलहाल कनाडा के बजाय दूसरे विकल्प तलाश रहे हैं। लेकिन विशेषज्ञों की इस पर बिल्कुल अलग राय है। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी तरह के वीज़ा के मामले

Dainik Bhaskar पराली मामले में भारत-पाकिस्तान आमने-सामने:पाकिस्तानी मंत्री बोली- वायु प्रदूषण के पीछे भारत, एक्सपर्ट बोले- सही विकल्प नहीं ढूंढ रही सरकारें

जिस जहरीली हवा में हम सांस ले रहे हैं, वह सीमा पार भी लोगों के जीवन को प्रभावित कर रही है। पिछले कुछ सालों से स्मॉग चिंता का विषय बना हुआ है। भारतीय और पाकिस्तानी दोनों ही इससे गंभीर रूप से प्रभावित हैं। इसका अंदाजा हम इस बात से लगा सकते हैं कि पूरी दुनिया में सबसे प्रदूषित शहरों में से दो दिल्ली और लाहौर हैं। दोनों देशों के नागरिकों की चीखें इस समय सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई हैं। दोनों ने प्रदूषण से निजात पाने के लिए कृत्रिम तरीके भी अपनाए, लेकिन वे सफल नहीं हुए। पंजाब में पराली जलाने के मामलों की बात करें तो इस सीजन में अब तक 1,342 एफआईआर, 553 रेड एंट्री और किसानों पर 15.25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। जिसमें से 13.47 लाख रुपये वसूले जा चुके हैं। 15 सितंबर से अब तक दर्ज 1,995 पराली जलाने की घटनाओं में से राज्य में 1,734 घटनाएं देखी गई हैं। जिनमें से 86 फीसदी घटनाएं पिछले 18 दिनों में हुई हैं। पाकिस्तान में भी हालात अच्छे नहीं हैं। पाकिस्तान में पराली जलाने की घटनाओं की जांच के लिए कोई ठोस अध्ययन नहीं किया गया है। लेकिन अभी चार दिन पहले ही पाकिस्तान के पंजाब में 71 किसानों को गिरफ्तार किया गया और 182 शिकायतें प्राप्त हुईं। पाकिस्तान से आने वाली हवाएं भी माझा का दम घोंट रही हैं पाकिस्तान स्थित पंजाब भारत स्थित पंजाब की सांसें घोंट रहा है। दरअसल, पाकिस्तान में ऐसा कोई अध्ययन नहीं है, जिससे पता चले कि स्थानीय पंजाब में कितने खेतों में पराली जलाई गई है। पंजाब में प्रदूषण का एक बड़ा कारण पाकिस्तान से आने वाली हवाएं मानी जाती हैं, जो इस दौरान भारत की ओर बहती हैं। इसके अलावा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पराली जलाने की घटनाएं भी बड़े पैमाने पर होती हैं, जिससे इस प्रदूषण में बढ़ोतरी हो रही है। भारतीय मौसम विभाग और पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों के मौसम में हवा का बहाव उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर होता है, जिसके कारण पाकिस्तान में जलाई जाने वाली पराली का धुआं भारतीय पंजाब और दिल्ली तक पहुंचता है और स्थानीय वायु गुणवत्ता को प्रभावित करता है। पराली ही नहीं, मौसम का भी असर आईआईटी दिल्ली के शहजाद गनी ने कहा कि प्रदूषण के लिए हम सिर्फ पराली को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। धान और गेहूं की कटाई के दौरान साल में दो बार पराली जलाई जाती है। लेकिन सबसे ज्यादा असर अक्

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