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Dainik Bhaskar पराली मामले में भारत-पाकिस्तान आमने-सामने:पाकिस्तानी मंत्री बोली- वायु प्रदूषण के पीछे भारत, एक्सपर्ट बोले- सही विकल्प नहीं ढूंढ रही सरकारें
जिस जहरीली हवा में हम सांस ले रहे हैं, वह सीमा पार भी लोगों के जीवन को प्रभावित कर रही है। पिछले कुछ सालों से स्मॉग चिंता का विषय बना हुआ है। भारतीय और पाकिस्तानी दोनों ही इससे गंभीर रूप से प्रभावित हैं। इसका अंदाजा हम इस बात से लगा सकते हैं कि पूरी दुनिया में सबसे प्रदूषित शहरों में से दो दिल्ली और लाहौर हैं। दोनों देशों के नागरिकों की चीखें इस समय सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई हैं। दोनों ने प्रदूषण से निजात पाने के लिए कृत्रिम तरीके भी अपनाए, लेकिन वे सफल नहीं हुए। पंजाब में पराली जलाने के मामलों की बात करें तो इस सीजन में अब तक 1,342 एफआईआर, 553 रेड एंट्री और किसानों पर 15.25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। जिसमें से 13.47 लाख रुपये वसूले जा चुके हैं। 15 सितंबर से अब तक दर्ज 1,995 पराली जलाने की घटनाओं में से राज्य में 1,734 घटनाएं देखी गई हैं। जिनमें से 86 फीसदी घटनाएं पिछले 18 दिनों में हुई हैं। पाकिस्तान में भी हालात अच्छे नहीं हैं। पाकिस्तान में पराली जलाने की घटनाओं की जांच के लिए कोई ठोस अध्ययन नहीं किया गया है। लेकिन अभी चार दिन पहले ही पाकिस्तान के पंजाब में 71 किसानों को गिरफ्तार किया गया और 182 शिकायतें प्राप्त हुईं। पाकिस्तान से आने वाली हवाएं भी माझा का दम घोंट रही हैं पाकिस्तान स्थित पंजाब भारत स्थित पंजाब की सांसें घोंट रहा है। दरअसल, पाकिस्तान में ऐसा कोई अध्ययन नहीं है, जिससे पता चले कि स्थानीय पंजाब में कितने खेतों में पराली जलाई गई है। पंजाब में प्रदूषण का एक बड़ा कारण पाकिस्तान से आने वाली हवाएं मानी जाती हैं, जो इस दौरान भारत की ओर बहती हैं। इसके अलावा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पराली जलाने की घटनाएं भी बड़े पैमाने पर होती हैं, जिससे इस प्रदूषण में बढ़ोतरी हो रही है। भारतीय मौसम विभाग और पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों के मौसम में हवा का बहाव उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर होता है, जिसके कारण पाकिस्तान में जलाई जाने वाली पराली का धुआं भारतीय पंजाब और दिल्ली तक पहुंचता है और स्थानीय वायु गुणवत्ता को प्रभावित करता है। पराली ही नहीं, मौसम का भी असर आईआईटी दिल्ली के शहजाद गनी ने कहा कि प्रदूषण के लिए हम सिर्फ पराली को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। धान और गेहूं की कटाई के दौरान साल में दो बार पराली जलाई जाती है। लेकिन सबसे ज्यादा असर अक्