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Dainik Bhaskar लोकसभा चुनाव से जोड़कर आर्टिफिशियल फिंगर की PHOTO वायरल:क्या बंगाल में मतदान प्रभावित करने के लिए बांटी जा रही नकली उंगलियां; जानें सच

पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के 7 में से 2 चरण पूरे हो चुके हैं। 7 मई को अगले चरण का मतदान होगा और 1 आखिरी चरण के मतदान होंगे। इसी बीच सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया जा रहा है। इस पोस्ट आर्टिफिशियल फिंगर की फोटो शेयर की जा रही है। अटल प्रताप नाम के यूजर ने पोस्ट शेयर कर लिखा- डुप्लीकेट वोट डालने के लिए पश्चिम बंगाल में असली दिखने वाली आर्टिफिशियल फिंगर कवर बनाकर बांटे जा रहे हैं। सिस्टम को धोखा देने के लिए वह किस हद तक जा सकते हैं। इसी दावे और कैप्शन के साथ पोलिटिक्स पेडिया नाम के अन्य X हैंडल ने पोस्ट शेयर किया। पोस्ट में यूजर ने चुनाव आयोग को टैग कर कार्रवाई करने की मांग की। एक यूजर ने वायरल फोटो पर आक्रोश जताते हुए लिखा- तुम सोते रहो और वो तुम्हारे वोट की ताकत का उपयोग कर लेंगे। इसी तरह वह चुनाव जीतती हैं। एक अन्य यूजर ने लिखा- इन देश विरोधी साजिशों से बचने के लिए चुनावों को और हाईटेक बनाना पड़ सकता हैं। वायरल फोटो का सच... वायरल फोटो का सच जानने के लिए हमने इससे जुड़े की-वर्ड्स गूगल पर सर्च किए। सर्च करने पर हमें वायरल फोटो से जुड़ी खबर ABC न्यूज की वेबसाइट पर मिली। खबर का लिंक... न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, जापान में एक माफिया गिरोह 'यकुजा' के सदस्यों को गंभीर अपराध करने के बाद सजा के तौर पर अपने हाथ की एक उंगली काटनी होती है। माफिया गिरोह में हर अपराध पर एक उंगली काटनी होती है। ऐसे में वो अपराधी जो इस गिरोह को छोड़कर अपनी जिंदगी नए सिरे से शुरू करना चाहते हैं। उन्हें उंगलियों की कमी के कारण काम ढूंढने में परेशानी आती है। इसी समस्या को सुलझाने के लिए प्रोस्थेटिक मेकर शिन्तारो हयाशी पूर्व अपराधियों के पुनर्वास के लिए नकली उंगलियां (आर्टिफिशियल फिंगर) बनाते हैं। यह खबर ABC न्यूज की वेबसाइट पर ABC न्यूज की वेबसाइट पर 6 जून 2013 को पब्लिश हुई थी। पड़ताल के दौरान हमें वायरल फोटो reddit.com वेबसाइट पर भी मिली। वेबसाइट पर फोटो के कैप्शन में लिखा है- यकुजा गैंगस्टर के सुधार के लिए प्रोस्थेटिक फिंगर। वहीं, ध्यान देने वाली बात यह है कि ये फोटो वेबसाइट पर 11 साल पहले अपलोड हुई थी। पड़ताल के दौरान हमें चुनाव आयोग के ऑफिशियल X अकाउंट पर वायरल फोटो से जुड़ा एक पोस्ट भी मिला। चुनाव आयोग ने वायरल फोटो का खंडन कर इसे फेक बताया। उन्होंने लिखा- जापान से आई कृत्रिम अंगुलियों की एक

Dainik Bhaskar पीएम मोदी 14 मई को वाराणसी में नामांकन दाखिल करेंगे:13 मई को रोड शो करेंगे, नामांकन से पहले काशी विश्वनाथ-कालभैरव के दर्शन करेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 मई को वाराणसी लोकसभा सीट से नामांकन करेंगे। नामांकन से पहले वे काशी विश्वनाथ और काल भैरव के दर्शन करेंगे। मोदी 13 मई को वाराणसी पहुंचेंगे और रोड शो करेंगे। वाराणसी में सातवें चरण में वोटिंग होनी है। पीएम सबसे पहले श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में षोडशोपचार विधि से पूजन करेंगे, फिर कालभैरव में मंदिर जाकर विशेष पूजा करेंगे। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने स्थानीय नेताओं के साथ पीएम मोदी के नामांकन को लेकर चर्चा की। पुरोहितों ने पीएम के पर्चा भरने के लिए 14 मई की तारीख को अच्छा बताया। उनके अनुसार 14 मई को दोपहर गंगा सप्तमी को सर्वार्थ सिद्धि योग का मुहूर्त है। इसमें पुष्य नक्षत्र में उस दिन शिव और शक्ति दोनों के संयोग का बन रहा है। अद्भुत योग पीएम की जीत का संयोग बनाएंगे। रोड शो का रूट लगभग तय पीएम के रोड शो का रूट भी लगभग तय हो गया है। पीएम DLW से बीएचयू पहुंचकर मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगे। इसके बाद भेलूपुर, गोदौलिया चौक से होकर शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरेंगे। पीएम के रोड शो में वाराणसी कैंट, शहर दक्षिणी और उत्तरी विधानसभा के क्षेत्र पड़ेंगे तो अगले दिन भी पीएम नामांकन के लिए शहर से होकर कलक्ट्रेट पहुंचेंगे। नेताओं को सौंपी जिम्मेदारी पीएम मोदी के नामांकन की समीक्षा राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल कर रहे हैं। राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के नेताओं की जिम्मेदारी तय की जा रही है। बैठक में तय किया गया कि पीएम नरेंद्र मोदी 13 मई को केंद्रीय चुनाव कार्यालय पर कार्यकर्ताओं से संवाद करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टिकट के ऐलान के बाद दो बार वाराणसी आ चुके हैं। इस दौरान उन्होंने काशी विश्वनाथ में दर्शन पूजन कर बाबा का आशीर्वाद लिया था।

Dainik Bhaskar पवन सिंह ने बताया बीजेपी का टिकट लौटाने का कारण:आसनसोल से नाम फाइनल होने पर रो पड़े थे, इस्तीफे पर कहा-टाइम पर डिसीजन लूंगा

2 मार्च को बीजेपी ने भोजपुरी एक्टर पवन सिंह को पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया। 24 घंटे के अंदर ही पवन सिंह ने ऐलान किया कि वो यहां से नहीं लड़ेंगे। अब वे बिहार की काराकाट लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। भास्कर इंटरव्यू में पवन सिंह ने कहा कि जब उन्हें बीजेपी से टिकट मिला तो खुशी के मारे उनके आंसू निकल गए थे। पवन सिंह ने बीजेपी का टिकट लौटाने की वजह भी बताई। काराकाट सीट से अपने सामने खड़े उपेंद्र कुशवाहा से आशीर्वाद भी मांग लिया। वे खुद को अभी से काराकाट से विजयी बता रहे हैं। गानों में अश्लीलता और बीजेपी छोड़ने के सवाल पर पवन सिंह ने क्या कहा… पढ़िए पूरा इंटरव्यू… सवाल- आप लोगों के बीच जाकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं, भारी भीड़ सेल्फी लेते हुए दिख रही है , कितनी परेशानी हो रही है? जवाब- कोई परेशानी नहीं है, ये तो सौभाग्य है, ये हर किसी के नसीब में थोड़े ही होता है। हम जहां भी जा रहे हैं, हमारे चाहने वाले, प्यार करने वाले हमें आशीर्वाद और दुआ देते हैं। पवन काराकाट लोकसभा से जीवन की तीसरी पारी खेल रहा है। जनता के जवन प्यार मिल रहल बा, दिल एकदम गदगद बा। सवाल- एक वीडियो वायरल है, जिसमें आपका एक फैन सेल्फी लेने के लिए गाड़ी के ऊपर चढ़ा था, उतरते समय गाड़ी का शीशा टूट गया, आप मुस्कुराते हुए नजर आए? जवाब- कोई बात नहीं। आज जो मेरे पास है, वो हमारी जनता का दिया हुआ है। कल पवन क्या था? आज हम अपने परिवार (जहां भी भोजपुरी भाषा बोली जाती है, उसको मैं परिवार मानता हूं) के सामने क्या बनकर खड़ा हो पा रहे हैं, ये जनता की देन है। सवाल- आप इतने सालों तक बीजेपी में रहे तो ऐसी भी क्या नौबत आ गई कि आपको निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ रहा है? जवाब- मैंने काफी साल मेहनत की है, बहुत त्याग भी किया है। मेरा एक जगह से नाम भी अनाउंस हुआ, पता नहीं क्या मैटर आया, क्या मुद्दा बन गया। मेरा ही गाना लग गया कहीं, कि पता नहीं कौन सी शक्ति से जोड़ दिया गया कि मैं क्या अपमान करता हूं, सम्मान नहीं करता, इज्जत नहीं करता! हालांकि, ऐसा कुछ नहीं है। सब ठीक है। सवाल- तो क्या बीजेपी आलाकमान की तरफ से आपको टिकट वापस करने के लिए कहा गया था? जवाब- अब इस मैटर पर हम लोग ज्यादा बात न करें तो बेहतर है। जाने दीजिए। मैंने कहा न कि जो बीत गया, सो बीत गया। सवाल- लेकिन, आपके दिल में कोई तो कसक होगी न? जवाब

Dainik Bhaskar रायबरेली में राहुल... देरी की रणनीति या कांग्रेस की दुविधा:7 घंटे पहले नाम घोषित करके चौंकाया, प्रियंका के नहीं लड़ने की 2 वजह

नामांकन के 7 घंटे बचे थे। शुक्रवार सुबह 7.50 बजे कांग्रेस ने रायबरेली से राहुल गांधी और अमेठी से केएल शर्मा के नाम का ऐलान किया। 3 घंटे बाद राहुल मां सोनिया, बहन प्रियंका और जीजा रॉबर्ट वाड्रा के साथ चार्टर्ड प्लेन से रायबरेली पहुंचे। नामांकन किया और और 1 बजे दिल्ली लौट गए। 5 घंटे में सब कुछ हो गया। सवाल उठता है कि ऐन मौके पर राहुल को रायबरेली से उतारना कांग्रेस की दुविधा थी या रणनीति का हिस्सा? पार्टी के एक पूर्व केंद्रीय मंत्री इसे पार्टी की रणनीति बताते हैं। कहते हैं- रायबरेली से भाजपा ने गुरुवार शाम को प्रत्याशी उतारा। वह कांग्रेस प्रत्याशी का इंतजार कर रही थी। इसलिए कांग्रेस ने आखिरी वक्त तक वेट एंड वॉच किया। भाजपा दिनेश सिंह की जगह किसी और को उतारती तो राहुल की सीट बदल सकती थी? वह कहते हैं- ऐसा नहीं है। पार्टी दोनों सीटों पर नजर रखे थी। निर्णय हो चुका था। तभी 2 दिन पहले केएल शर्मा को अमेठी भेज दिया गया था। पहले बताते हैं कि प्रियंका रायबरेली से क्यों नहीं उतरीं प्रियंका कांग्रेस की स्टार कैंपेनर हैं। वह एक सीट तक सिमटना नहीं चाहतीं। प्रियंका ने 15 दिन में 9 राज्यों में 25 जगह रैली और रोड शो किए। सीनियर जर्नलिस्ट सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं- प्रियंका के चुनाव लड़ने से गांधी परिवार अमेठी-रायबरेली में केंद्रित रह जाता। इसलिए चुनाव न लड़ने का फैसला किया। पॉलिटिकल एक्सपर्ट प्रभाशंकर कहते हैं- मां की विरासत पर पहला हक बेटे का होता है। रायबरेली सीट पर ऐसा ही दिखा। मां के बाद राहुल का चुनाव लड़ना पारिवारिक परंपरा को बढ़ाना है। अगर प्रियंका लड़तीं तो उनकी विरासत आगे बढ़ती। इसलिए, वह सक्रिय राजनीति से दूर हैं। राहुल ऐन मौके पर रायबरेली से क्यों उतरे... 1- राहुल को वापस चर्चा में लाना राहुल गांधी ने यूपी में अब तक सिर्फ दो कार्यक्रम किए हैं। अमरोहा में एक रैली और गाजियाबाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस। कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि देर से प्रत्याशी घोषित करना पार्टी की रणनीति का हिस्सा रहा है। राहुल चर्चा में आ गए। 3 दिन से हर जगह अमेठी-रायबरेली की चर्चा थी। TRP गेन करने की पार्टी की रणनीति सफल रही। 2- भाजपा को घेरने की रणनीति कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं- टॉप लीडरशीप में प्रत्याशी को लेकर कंफ्यूजन नहीं था। कांग्रेस भाजपा को कंफ्यूज करना चाहत

Dainik Bhaskar सुप्रीम कोर्ट का हमनाम उम्मीदवारों पर रोक लगाने से इनकार:कहा- राहुल या लालू नाम वाले दूसरे लोगों को चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकते

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में एक जैसे नाम वाले उम्मीदवारों पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सतीश चंद्रा और जस्टिस संदीप शर्मा की बेंच ने कहा कि अगर किसी का नाम राहुल गांधी या लालू यादव है तो उन्हें चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता। कोर्ट ने कहा- बच्चों का नाम उनके माता-पिता रखते हैं। अगर किसी के माता-पिता ने किसी अन्य के जैसा नाम दिया है तो उन्हें चुनाव लड़ने से कैसे रोका जा सकता है? क्या इससे उनके अधिकारों पर असर नहीं पड़ेगा? बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप जानते हैं मामले का हश्र क्या होगा। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस लेने की इच्छा जताई। कोर्ट ने उन्हें याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी। याचिकाकर्ता ने कहा था- एक नाम से वोटर कन्फ्यूज होते हैं दरअसल, साबू स्टीफन नाम के याचिकाकर्ता ने कहा था कि हाई-प्रोफाइल सीटों पर मिलते-जुलते नाम वाले दूसरे उम्मीदवार को चुनाव में उतारना पुराना ट्रिक है। इससे वोटरों के मन में कन्फ्यूजन पैदा होता है। एक जैसे नाम के कारण लोग गलत कैंडिडेट को वोट करते हैं और सही उम्मीदवार को नुकसान होता है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक पार्टियां जानबूझकर ऐसे कैंडिडेट मैदान में उतारते हैं। इसके बदले हमनाम उम्मीदवार को पैसे, सामान और कई तरह के फायदे मिलते हैं। उन्हें भारतीय राजनीतिक और प्रशासनिक प्रणाली की कोई जानकारी नहीं होती। याचिका में चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी याचिकाकर्ता ने कहा कि इस तरह की प्रथा को कम करने की जरूरत है, क्योंकि एक-एक वोट से उम्मीदवार के भविष्य का फैसला होता है। याचिका में हमनाम उम्मीदवारों को लेकर तत्काल कदम उठाने के लिए भारत के चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई। हालांकि, याचिकाकर्ता का पक्ष रख रहे वकील वी के बीजू ने कहा कि वे यह दावा नहीं कर रहे है कि ऐसे सभी उम्मीदवार फर्जी होते हैं या उन्हें चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं है। हालांकि, हमनाम उम्मीदवारों से बचने के लिए एक प्रभावी जांच और सही मैकेनिज्म की जरूरत है। वीके बीजू ने कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961 के नियम 22(3) का हवाला देते हुए कहा कि दो या दो से अधिक उम्मीदवारों के नाम एक रहने पर उनके काम, निवास या किसी अन्य तरीके से की उनकी अलग पहचान की जानी चाहिए। ये खबरें भी

Dainik Bhaskar एक जैसे नाम वाले उम्मीदवारों पर रोक वाली याचिका रद्द:सुप्रीम कोर्ट ने कहा, नाम के आधार पर चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को (3 मई) को समान वाले उम्मीदवारों को चुनाव में बैन की मांग करने वाली याचिका रद्द कर दी। मामले में सुनवाई पर इनकार करते हुए जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि किसी व्यक्ति के माता-पिता ने यदि उसका नाम राहुल गांधी या लालू प्रसाद यादव रखा है। तो उसे इस नाम के आधार पर चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता। कोर्ट ने कहा किसी भी व्यक्ति को केवल इस आधार पर चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता क्योंकि उसका नाम किसी राजनेता से मिलता-जुलता है। याचिकाकर्ता साबू स्टीफन ने एक पीआईएल दायर करते हुए ये तर्क दिया कि मतदाताओं को धोखे में रखने के लिए हाई प्रोफाइल सीटों पर जाने-माने उम्मीदवारों से मिलते-जुलते नाम वाले लोगों को खड़ा किया जाता है। पीआईएल में हमनाम उम्मीदवारों को मैदान में उतारने को लंबे समय से चली आ रही चुनावी चाल बताया गया था। एक जैसे नामों से नुकसान याचिकाकर्ता ने इस बात पर जोर दिया कि समान नाम वाले उम्मीदवारों के चलते अक्सर बड़े नेताओं को मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ता है। याचिका में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए इस तरह की चीजों को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट से चुनाव आयोग को तत्काल निर्देश देने की मांग की गई थी। मौजूदा लोकसभा चुनावों में भी सामने आए है ऐसे मामले मौजूदा लोकसभा चुनावों में भी इस तरह के कुछ मामले सामने आए हैं। तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम रामनाथपुरम लोकसभा सीट से इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर चार अन्य ऐसे उम्मीदवारों ने पर्चा भरा है जिनके नाम के साथ पन्नीरसेल्वम जुड़ा है। ऐसा ही एक अन्य मामला महाराष्ट्र की रायगढ़ सीट का है। जहां शिवसेना (UBT) के उम्मीदवार अनंत गीते के सामने दो और ऐसे निर्दलीय उम्मीदवार है जिनका नाम अनंत गीते है। ये खबरें भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट में EVM-VVPAT के 100% मिलान की मांग खारिज, बैलट पेपर से चुनाव नहीं होंगे सुप्रीम कोर्ट ने बैलट पेपर से चुनाव कराने और इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (EVM) और VVPAT स्लिप की 100% क्रॉस-चेकिंग कराने से जुड़ी याचिकाएं खारिज कर दीं। लेकिन एक बड़ा फैसला भी दिया। कोर्ट ने EVM के इस्तेमाल के 42 साल के इतिहास में पहली बार जांच का रास्ता खोल दिया। पूरी खबर पढ़ें... SC में याचिका-NOTA को ज्यादा वोट तो चुनाव रद्द हो,चुनाव आयोग को नोटिस सुप्रीम कोर्ट ने NOTA से जुड़

Dainik Bhaskar नरेश गोयल की जमानत याचिका पर फैसला 6 मई को:जेट एयरवेज के फाउंडर पर मनी लॉड्रिंग का आरोप: ED ने बेल का विरोध किया

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेट एयरवेज के फाउंडर नरेश गोयल की अंतरिम मेडिकल बेल पर फैसला सुरक्षित रखा है। शुक्रवार (3 मई) को हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस एनजे जमादार की सिंगल बेंच ने कहा कि आदेश 6 मई को सुनाया जाएगा। वहीं, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गोयल की मेडिकल के आधार पर मांगी गई जमानत का विरोध किया। साथ ही कहा कि प्राइवेट अस्पताल में उनका रहना एक महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है। गोयल की पत्नी के पास कुछ ही महीनों का समय: वकील गोयल ने उनके और उनकी पत्नी अनीता गोयल के कैंसर पेशेंट होने का हवाला देते हुए पिछले सप्ताह मेडिकल ग्रांउड पर अंतरिम जमानत मांगी थी। इससे पहले फरवरी में स्पेशल कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था, लेकिन इलाज की छूट दी थी। बाद में गोयल ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। जमानत की मांग करते हुए नरेश के वकील हरीश साल्वे ने कहा गोयल पर लगे आरोप गंभीर हैं, लेकिन उनकी पत्नी कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही हैं और उनके पास कुछ महीनों का समय बचा है। ऐसे में ह्यूमन बेसिस पर गोयल को पत्नी के साथ उनके अंतिम समय में रहने दिया जाए। केनरा बैंक से धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार हुए थे गोयल गोयल पर केनरा बैंक के साथ 538 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का आरोप है। ED ने कथित बैंक धोखाधड़ी के सिलसिले में पिछले साल एक सितंबर को नरेश गोयल को गिरफ्तार किया था। नरेश की पत्नी अनीता गोयल को पिछले साल नवंबर में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उनकी उम्र और हेल्थ को देखते हुए उन्हें जमानत दे दी गई थी। तीन पॉइंट में पूरा मामला समझें: बैंक का आरोप- पैसों की हेराफेरी की गई केनरा बैंक ने आरोप लगाया था कि जेट एयरवेज की फोरेंसिक ऑडिट में पाया गया कि जेट ने अपने से जुड़ी कंपनियों यानी 'रिलेटेड कंपनियों' को 1,410.41 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए। ऐसा कंपनी के अकाउंट से पैसा निकालने के लिए किया गया। गोयल परिवार के पर्सनल खर्च- जैसे स्टाफ की सैलरी, फोन बिल और व्हीकल एक्सपेंस, सब जेट एयरवेज से ही होते थे। गोयल ने 1993 में जेट एयरवेज की स्थापना की थी। 2019 में एयरलाइन चेयरमैन पद छोड़ दिया था। अप्रैल 2019 से बंद है जेट एयरवेज जेट एयरवेज एक समय भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट एयरलाइंस में से एक थी और एयरलाइन को साउथ एशियाई देशों की सबसे बड़ी प्राइवेट एयरलाइन का

Dainik Bhaskar SC ने GST एक्ट के तहत नोटिस-गिरफ्तारियों का डेटा मांगा:कहा- लोगों का उत्पीड़न नहीं होने देंगे, उन्हें धमकी देकर परेशान किया जाता है

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से GST एक्ट के तहत 1 से 5 करोड़ रुपए के डिफॉल्ट के लिए जारी किए गए नोटिस और गिरफ्तारियों का डेटा मांगा है। कोर्ट ने कहा कि कभी-कभी गिरफ्तारियां नहीं की जाती हैं, लेकिन लोगों को नोटिस जारी करके, गिरफ्तारी की धमकी देकर परेशान किया जाता है। कोर्ट ने गुरुवार (2 मई) को GST एक्ट, कस्टम एक्ट और PMLA के प्रावधानों को चुनौती देने वाली 281 याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि हम नागरिकों की आजादी छीनने से बचाने के लिए दिशा-निर्देश तय कर सकते हैं, लेकिन उनका उत्पीड़न नहीं होने देंगे। अधिकारियों पर लगा शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप दरअसल, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने कहा था कि GST एक्ट के तहत अधिकारी अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हैं। गिरफ्तारी नहीं की जाती है, लेकिन लोगों को नोटिस जारी करके गिरफ्तारी की धमकी दी जाती है। यह लोगों की स्वतंत्रता को कम कर रहा है। इस पर जस्टिस संजीव खन्ना, एमएम सुंदरेश और बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने केंद्र की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि सभी मामलों में लोगों को सलाखों के पीछे नहीं भेजा जा सकता है। बेंच ने कहा कि धोखाधड़ी के मामलों और अनजाने में हुई चूक के बीच अंतर होना चाहिए। केंद्र ने कहा- राज्यों से जुड़ा डेटा इकट्ठा करना मुश्किल कोर्ट ने जीएसटी एक्ट की धारा 69 में गिरफ्तारी की शक्तियों पर स्थिति साफ न होने पर चिंता जाहिर की। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि वह सेंट्रल GST एक्ट के तहत नोटिस और गिरफ्तारियों से जुड़ा डेटा इकट्ठा करेंगे। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों से संबंधित ऐसी जानकारी इकट्ठा करना मुश्किल होगा, लेकिन वह अगली सुनवाई के दिन बेंच के सवालों का जवाब देने की कोशिश करेंगे। मामले की अगली सुनवाई 9 मई को होगी। 2017 में लागू हुआ था GST GST यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स एक इनडायरेक्ट टैक्स है। इसे वैराइटी ऑफ प्रीवियस इनडायरेक्ट टैक्स (VAT), सर्विस टैक्स, परचेज टैक्स, एक्साइज ड्यूटी और कई इनडायरेक्ट टैक्स को रिप्लेस करने के लिए 2017 में लागू किया गया था। GST में 5, 12, 18 और 28% के चार स्लैब हैं। ये खबरें भी पढ़ें... अप्रैल में रिकॉर्ड 2.10 लाख करोड़ GST कलेक्शन, इससे पहले हाईएस्ट कलेक्शन 1.87 लाख करोड़ था सरकार ने अप्रैल 2024 म

Dainik Bhaskar सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई:पिछली बार कोर्ट ने पूछा था- चुनाव से ही पहले गिरफ्तारी क्यों हुई

दिल्ली शराब नीति केस में गिरफ्तारी और रिमांड के खिलाफ अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज फिर सुनवाई है। 30 अप्रैल को कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी की टाइमिंग पर सवाल उठाए थे और पूछा था कि चुनाव से ठीक पहले ही गिरफ्तारी क्यों हुई। कोर्ट ने ED से 4 और सवालों के जवाब मांगे थे। इतना ही नहीं सुनवाई के दौरान केजरीवाल से भी सवाल किया गया था कि आपको ED ने जो नोटिस भेजे, आपने उन्हें नजरअंदाज क्यों किया। आप गिरफ्तारी और रिमांड के खिलाफ यहां आए, आपने जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट क्यों नहीं गए। शराब नीति घोटाला केस में केजरीवाल 1 अप्रैल को गिरफ्तार किए गए थे। दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 23 अप्रैल को उनकी न्यायिक हिरासत 7 मई तक बढ़ा दी थी। केजरीवाल तीसरे (7 मई) फेज की वोटिंग के दौरान भी जेल में रहेंगे। केजरीवाल के अलावा BRS नेता के. कविता और एक अन्य आरोपी चरनप्रीत की कस्टडी भी 7 मई तक बढ़ा दी गई है। पिछली तीन सुनवाई में क्या-क्या हुआ 30 अप्रैल : सुप्रीम कोर्ट ने ED से 5 सवाल पूछे 1. क्या बिना किसी न्यायिक कार्यवाही के विजय मदनलाल चौधरी या अन्य मामले में जो कहा गया है, उसके संदर्भ में आपराधिक कार्यवाही शुरू की जा सकती है? (जस्टिस खन्ना ने कहा कि केजरीवाल के मामले में अब तक कोई कुर्की नहीं हुई है। अगर हुई है तो ED को यह बताना होगा कि उनका संबंध कैसे था) 2. मनीष सिसोदिया मामले में फैसले के दो हिस्से हैं- एक, जो उनके पक्ष में है, दूसरा, जो उनके पक्ष में नहीं है। केजरीवाल का मामला किस भाग में आता है? 3. PMLA के सेक्शन-19 की व्याख्या कैसे की जाए, क्योंकि केजरीवाल जमानत के लिए आवेदन करने के बजाय गिरफ्तारी और रिमांड के खिलाफ आ रहे हैं। यदि वे बाद का रास्ता अपनाते हैं तो उन्हें PMLA के सेक्शन-45 के तहत उच्च प्रावधानों का सामना करना पड़ेगा? 4. मामले में कार्यवाही शुरू होने और कुछ समय बाद बार-बार शिकायत दर्ज होने के बीच का समय। (इस संबंध में यह बताया गया कि अंतर के गंभीर नतीजे होंगे। चूंकि धारा 8 न्यायिक प्रक्रिया के लिए 365 दिनों की अधिकतम समय सीमा निर्धारित करती है) 5. गिरफ्तारी की टाइमिंग। चुनाव के पहले ऐसा क्यों किया? 29 अप्रैल: केजरीवाल की तरफ से दी गईं दलीलें 15 अप्रैल: सुप्रीम कोर्ट ने ED को नोटिस देकर गिरफ्तारी पर जवाब मांगा

Dainik Bhaskar कर्नाटक में कैदी के पेट से निकला की-पेड मोबाइल:बोला- पकड़े जाने के डर से निगला; दर्द होने पर 20 दिन बाद अस्पताल लाया गया

कर्नाटक के शिवमोगा की जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी परशुराम (28) को पेट दर्द की शिकायत पर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने उसकी जांच की और कई सारे टेस्ट किए। उसका इलाज किया, लेकिन उसकी हालात में सुधार ना होता देख उसे बेंगलुरु के विक्टोरिया हॉस्पिटल रेफर किया दिया गया था। यहां अल्ट्रासाउंड में सामने आया कि परशुराम के पेट में कई बाहरी ऑब्जेक्ट है। इसे बाद 25 अप्रैल को उसकी सर्जरी की गई। पेट से डॉक्टरों को चाइनीज फोन और सिम कार्ड मिला। पकड़े जान से निगल था फोन, 20 दिन से परेशान था डॉक्टरों को परशुराम ने बताया कि पुलिस चेकिंग में पकड़े जाने के डर से उसने फोन और सिम कार्ड निगल लिया था। 20 दिन से मोबाइल पेट में था, जब दर्द ज्यादा बढ़ गया तो अस्पताल में भर्ती हुआ था। डॉक्टरों ने बताया कि फोन इतना छोटा था कि परशुराम ने उसे आसानी से निगल लिया, फोन आहार नली में भी नहीं फंसा, लेकिन छोटी आंत में जाकर फंस गया। परशुराम ने सोचा था कि शौच के दौरान फोन उसके पेट से बाहर निकल जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। धीरे-धीरे उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। वापस जेल भेज गया परशुराम सर्जरी के बाद परशुराम को वापस शिवमोगा जेल भेज दिया। उसके खिलाफ जेल में मोबाइल तस्करी के मामले में कर्नाटक प्रिजन्स (अमेडमेंट) एक्ट 2022 के तहत केस दर्ज किया गया है। जेल प्रशासन का कहना है कि जेल में मोबाइल, ड्रग और अन्य चीजों की जांच के लिए लगातार सर्च किया जाता है। कई बार कैदी टॉयलेट या उन जगहों पर चीजें छुपाते हैं, जहां कोई चेक नहीं करता। लेकिन परशुराम ने उसे निगल लिया था। 'गो हैंग योरसेल्फ' कहना खुदकुशी के लिए उकसाना नहींं ​​​​:पादरी की मौत के मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि 'गो हैंग योरसेल्फ' कहने को खुदकुशी के लिए उकसाने वाला बयान नहीं कहा जा सकता। जस्टिस एम नाग प्रसन्ना ने उडुपी के एक पादरी की खुदकुशी के मामले में सुनवाई करते हुए ये बात कही। मामले में याचिकाकर्ता पर पादरी को 'गो हैंग योरसेल्फ' कहकर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप था। पूरी खबर पढे़ं... सुप्रीम कोर्ट बोला- बिना रस्मों के हिंदू विवाह मान्य नहीं:ये नाचने-गाने और खाने-पीने का इवेंट नहीं​​​​ सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंदू विवाह कोई नाचने-गाने या खाने-पीने का मौका भर नहीं है। न ये कोई व्यापारिक लेन-देन है।

Dainik Bhaskar शिवसेना उद्धव गुट की नेता सुषमा अंधारे का हेलिकॉप्टर क्रैश:किसी के घायल होने की जानकारी नहीं; क्रैश की वजह साफ नहीं, जांच की जा रही

महाराष्ट्र के महाड में शुक्रवार को शिवसेना (उद्धव गुट) की नेता सुषमा अंधारे का हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। सुषमा अंधारे बारामती में महिला मेले में शामिल होने जा रही थीं। सुषमा के हेलिकॉप्टर में चढ़ने से पहले ही हेलिकॉप्टर का बैलेंस बिगड़ गया और वो क्रैश हो गया। हेलिकॉप्टर क्रैश में किसी के घायल होने की जानकारी नहीं है। पुलिस ने बताया कि क्रैश की वजह अभी साफ नहीं है। जांच की जा रही है। हेलिकॉप्टर क्रैश का वीडियो देखने के लिए ऊपर लगे फोटो पर क्लिक करें।

Dainik Bhaskar छत्तीसगढ़ में पुलिस-नक्सली मुठभेड़:सुकमा में माओवादियों के कोर इलाके में घुसी फोर्स; रुक-रुक कर फायरिंग, सर्चिंग जारी

छ्त्तीसगढ़ के सुकमा जिले में शुक्रवार सुबह पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई है। बताया जा रहा है कि, जवान नक्सलियों के कोर इलाके में घुसे हैं। 2 से 3 बार रुक-रुक कर गोलीबारी हुई है। फिलहाल घटना स्थल की सर्चिंग जारी है। सुकमा SP किरण चव्हाण ने मुठभेड़ की पुष्टि की है। जानकारी के मुताबिक, जवानों को सूचना मिली थी कि रायगुड़म इलाके में भारी संख्या में नक्सली मौजूद हैं। इसी सूचना के आधार पर DRG और कोबरा बटालियन के जवानों को मौके के लिए रवाना किया गया था। जहां जवानों को आता देख नक्सलियों ने फायर खोल दिया। इसके बाद जवानों ने भी मोर्चा संभाला और नक्सलियों की गोलियों का जवाब दिया। दोनों तरफ से हुई गोलीबारी में जवानों को भारी पड़ता देख नक्सली जंगल की आड़ लेकर भाग निकले। पुलिस ने उनका पीछा किया और करीब 2 से 3 बार रुक-रुक कर गोलीबारी हुई। फिलहाल जवान अब भी मौके पर मौजूद हैं। इलाके की सर्चिंग की जा रही है। 30 अप्रैल को नारायणपुर में मारे गए थे 10 नक्सली छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा पर मंगलवार (30 अप्रैल) को पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में 10 नक्सली मारे गए थे। मौके से AK-47, इंसास राइफल समेत भारी मात्रा में सामान भी बरामद किया गया। मुठभेड़ में मारे गए 8 नक्सलियों की शिनाख्त हो गई है, हालांकि दो के नाम पर कंफ्यूजन है। DVCM कैडर के दो नक्सलियों पर 8-8 लाख रुपए का इनाम घोषित था। पूरी खबर पढ़िए... खबर अपडेट हो रही है...

Dainik Bhaskar न्यूज इन ब्रीफ@11 AM:राहुल गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे; बंगाल गवर्नर पर यौन उत्पीड़न का आरोप; डाबर बोला- मसालों में नहीं मिलाते कीटनाशक

नमस्कार, आइए जानते हैं आज सुबह 11 बजे तक की देश-दुनिया की 10 बड़ी खबरें… 1. राहुल गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे, प्रियंका गांधी ने इनकार किया राहुल गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे। वह केरल के वायनाड से भी कांग्रेस प्रत्याशी हैं। प्रियंका गांधी चुनाव नहीं लड़ेंगी। वहीं, अमेठी से किशोरी लाल शर्मा को उतारा है। किशोरी लाल सोनिया गांधी के भरोसेमंद माने जाते हैं। भाजपा ने रायबरेली से योगी सरकार में मंत्री दिनेश प्रताप सिंह को टिकट दिया है, जबकि अमेठी से स्मृति ईरानी लड़ रही हैं। पढ़ें पूरी खबर... 2. बंगाल गवर्नर आनंद बोस के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर राजभवन की महिला कर्मी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। पीड़ित ने हरे स्ट्रीट थाने में लिखित शिकायत दी है। महिला का आरोप है कि वो 24 मार्च को स्थायी नौकरी का निवेदन लेकर राज्यपाल के पास गई थी। तब राज्यपाल ने बदसलूकी की। हालांकि, राज्यपाल ने कहा कि ये मुझे बदनाम करने की साजिश है। पढ़ें पूरी खबर... 3. डाबर बोला- भारत में बिकने वाले मसालों में नहीं मिलाते कीटनाशक डाबर इंडिया ने बताया है कि भारतीय बाजार में बिकने वाले उसके मसालों में एथिलीन ऑक्साइड (कीटनाशक) नहीं मिलाया जाता है। डाबर कंपनी 'बादशाह ब्रांड' से मसाले बेचती है। कंपनी का बयान ऐसे समय में आया है जब देश की दो बड़ी मसाला कंपनियों एवरेस्ट और MDH पर सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग और मालदीव की सरकार ने बैन लगा दिया है। अमेरिका और भारत की फूड सेफ्टी अथॉरिटीज जांच कर रही हैं। पढ़ें पूरी खबर... 4. अमित शाह फेक वीडियो केस- तेलंगाना CM को दोबारा भेजा जाएगा नोटिस गृह मंत्री अमित शाह के फेक वीडियो केस में दिल्ली पुलिस के सामने कोई नहीं पेश हुआ। इस केस में चार राज्यों के 22 लोगों को नोटिस दिया गया। इसमें तेलंगाना CM भी शामिल हैं, उन्हें अब दोबारा नोटिस भेजने की तैयारी है। 27 अप्रैल को सोशल मीडिया पर अमित शाह का एक फेक वीडियो वायरल हुआ। इसे तेलंगाना कांग्रेस और CM रेवंत रेड्डी ने शेयर किया था। पढ़ें पूरी खबर... 5. दिल्ली के स्कूलों में बम की धमकी का मामला, पुलिस ने इंटरपोल से संपर्क किया दिल्ली-एनसीआर के 200 से अधिक स्कूलों को बम की धमकी वाले ई-मेल मिलने के मामले में दिल्ली पुलिस ने रूस की मेलिंग सेवा कंपनी Mail.ru से संपर्क किया है। साथ ही CBI को भी पत्र लि

Dainik Bhaskar जब जनता की आवाज बने अखबार:इमरजेंसी लगी तो पत्रकार ने लोकतंत्र की मृत्यु का शोक संदेश छपवाया

भारतीय पत्रकारिता के दो सशक्त हथियार रहे हैं- कलम और कैमरा। आजादी के बाद से लेकर अब तक अनेकों ऐसे मौके आए, जब पत्रकारों ने अपनी जान जोखिम में डालकर उन क्षणों को कैद किया, जो हमेशा के लिए भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में दर्ज हो जाने वाले थे। चाहे आजादी मिलने के बाद नेहरू की पहली परेड और सार्वजनिक सभा हो, भोपाल गैस त्रासदी हो या फिर पहला भारतीय अंतरिक्ष यान भेजा जाना। इतिहास के यह सभी स्वर्णिम पल कैमरे में कैद हैं। जब इमरजेंसी के अगले दिन पत्रकार अशोक महादेवन ने लोकतंत्र की मृत्यु का शोक संदेश छपवाया 25 जून 1975 को देश में इमरजेंसी लगाई गई थी। इसके अगले दिन रीडर्स डाइजेस्ट के पत्रकार अशोक महादेवन ने टाइम्स ऑफ इंडिया में एक शोक संदेश छपवाया। यह शोक संदेश ‘लोकतंत्र की हत्या’ पर आधारित था। इसमें लिखा था सच के पति, आजादी के भाई, विश्वास, उम्मीद और न्याय के पिता की मृत्यु 26 जून को हो गई है’। जब जतींद्रदास की मौत की तस्वीर ने ब्रिटिश साम्राज्य को डरा दिया साल था 1929। क्रांतिकारी जतींद्रनाथ दास कई दिनों से जेल में बंद थे और भूख हड़ताल पर थे। 13 सितंबर, 1929 को लाहौर की बोरस्टल जेल में जबरदस्ती खाना खिलाते समय उनकी मृत्यु हो गई। ट्रिब्यून अखबार ने दास की तस्वीर को पहले पन्ने पर छापा था। खबरों के अनुसार इसे देखकर शवयात्रा में 5 लाख लोग पहुंचे। ब्रिटिश सरकार डर गई। इसके बाद अंग्रेजों ने क्रांतिकारियों के शव परिजनों को सौंपना बंद कर दिया था। भोपाल गैस त्रासदी का दर्द : जब पिता ने मासूम बेटी को दफनाया भोपाल गैस त्रासदी इतिहास के सबसे खौफनाक हादसों में से एक है। 2 दिसंबर 1984 की रात काे भोपाल एक गैस चैंबर में तब्दील हो चुका था। हजारों मासूम लोगों ने जान गंवाई थी, उन्हीं में से एक थी यह छोटी बच्ची। फोटोग्राफर रघु राय ने बताया था कि बच्ची को उसके पिता दफना रहे थे। इंसानियत की तस्वीर: दंगों के बीच पुलिस ने बच्चे को सुरक्षित निकाला तस्वीर राजस्थान के करौली की है। अप्रैल 2022 में शहर के कुछ इलाके दंगों की आग से घिरे थे। कॉन्स्टेबल नेत्रेश शर्मा फूटाकोट इलाके में उपद्रव में फंसे बच्चे और उसकी मां को सुरक्षित निकालकर ला रहे हैं। यह तस्वीर दैनिक भास्कर के फोटो जर्नलिस्ट उमेश शर्मा ने खींची थी। जज्बे की तस्वीर : वैज्ञानिकों ने ऐसे पहुंचाया देश को अंतरिक्ष में तस्वीर देश के शीर्ष वैज्ञानिक

Dainik Bhaskar भारत में पत्रकारिता के विकास की कहानी:1780 में छपा पहला अखबार, 1965 में पहली बार टीवी पर आए समाचार

भारत में पत्रकारिता की शुरुआत 18वीं सदी में हुई थी। बंगाल गैजेट (हिक्की गैजेट) पहला मीडिया पब्लिकेशन था, जो 1780 में शुरू हुआ था। अंग्रेजी का यह अखबार जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने शुरू किया था। यह साप्ताहिक था। भारतीय भाषा में छपा पहला अखबार 1821 में छपा ‘संवाद कौमुदी’ बांग्ला भाषा का पहला दैनिक अखबार था। किसी भारतीय भाषा में प्रकाशित यह पहला अखबार था। इसे राजा राम मोहन रॉय ने शुरू किया था। सबसे पुराना अखबार, जो आज भी छपता है 1822 ‘बॉम्बे समाचार’ को फरदुनजी मर्जबान ने शुरू किया था। यह ऐसा सबसे पुराना एशियाई अखबार है, जो आज भी छपता है। पहला उर्दू अखबार 1822 जाम-ए-जहांनुमा पहला उर्दू अखबार दिल्ली से शुरू हुआI पहला हिन्दी अखबार 1826 उदन्त मार्तण्ड देश का पहला हिन्दी अखबार था। इसे जुगल किशोर शुक्ल ने शुरू किया था। व्यापार समाचार 1838 ‘द बॉम्बे टाइम्स एंंड जर्नल ऑफ कॉमर्स’ शुरू। यह बाद में ‘टाइम्स आॅफ इंडिया’ बना। पहला मराठी अखबार 1840 ‘दिगदर्शन’ पहला मराठी अखबार बाला शास्त्री जमभेकर ने शुरू किया था। पहला उर्दू-हिन्दी अखबार 1857 ‘पयाम-ए-आजादी’ पहला उर्दू और हिन्दी अखबार था। यह भारतीय आजादी पर आवाज उठाने वाला पहला उर्दू अखबार था। गांधी-बोस जैसे नेताओं ने भी निकाले अखबार रेडियो और टीवी का दौर रेडियो समाचार बुलेटिन 1927 में इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी ने पहला रेडियो समाचार प्रसारित किया । 1956 में आकाशवाणी ने समाचार सेवाएं शुरू की। दूरदर्शन पर पहला समाचार प्रसारित 1965 में दूरदर्शन पर 5 मिनट का समाचार बुलेटिन शुरू। 1959 में दूरदर्शन पर पहला प्रसारण हुआ था। इमरजेंसी में प्रेस प्रतिबंध 1975 देश में इमरजेंसी लगी। प्रेस को सेंसर किया गया था। पहला न्यूज एनालिसिस शो 1988 में प्रणय रॉय ने दूरदर्शन पर ‘वर्ल्ड दिस वीक’ नामक न्यूज एनालिसिस प्रोग्राम शुरू किया था। यह इस तरह का पहला शो माना जाता है। 24 घंटे का न्यूज चैनल 1998 स्टार इंडिया ने आम चुनावों के लिए स्टार न्यूज चैनल शुरू किया, जो भारत का पहला 24 घंटे का न्यूज चैनल (एनडीटीवी के साथ) था। ये खबरें भी पढ़िए... 1. भारत के अखबारों की कहानी:1 रुपए 12 आना उधार लेकर शुरू हुआ द हिंदू; कैसे अखबारों ने भारतीय लोकतंत्र को मजबूत बनाया 2. जब जनता की आवाज बने अखबार:इमरजेंसी लगी तो पत्रकार ने लोकतंत्र की मृत्यु का शोक संदेश छपवाया