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Dainik Bhaskar कर्नाटक की पूर्व BJP सरकार पर कोविड-फंड घोटाले का आरोप:कांग्रेस का दावा- एक हजार करोड़ रुपए की हेराफेरी हुई, कई फाइलें भी गायब

कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने पूर्व भाजपा सरकार पर कोविड फंड में करोड़ों रुपए के घोटाले का आरोप लगाया है। कांग्रेस का दावा है कि कोविड के दौरान राज्य को कुल 13 हजार करोड़ रुपए का फंड मिला था। इसमें लगभग 1000 करोड़ रुपए की हेराफेरी की गई। तब बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी। कांग्रेस ने COVID​​​-19 मैनेजमेंट पर जस्टिस जॉन माइकल कुन्हा कमीशन की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के हवाले से घोटाले का दावा किया है। कर्नाटक के मंत्री एच के पाटिल ने बताया कि गुरुवार (5 सितंबर) को कैबिनेट मीटिंग में रिपोर्ट पर चर्चा हुई। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड फंड से जुड़ी कई फाइलें गायब हैं, जिन्हें बार-बार कहने के बावजूद उनके सामने नहीं रखा गया। कर्नाटक में पिछले साल मई में कांग्रेस की सरकार बनी थी। कांग्रेस ने सत्ता में आने पर कोविड फंड में घोटाले की जांच कराने का वादा किया था। पार्टी की जीत के बाद सिद्धारमैया सीएम बने और उन्होंने अगस्त, 2023 में घोटाले की न्यायिक जांच का आदेश दिए थे। सीएम ने जांच अधिकारियों को कोविड महामारी के दौरान दवाओं, उपकरणों की खरीद और ऑक्सीजन आपूर्ति में अनियमितताओं की जांच का काम सौंपा गया था। सूत्रों के मुताबिक, न्यायिक जांच की प्राथमिक रिपोर्ट को अभी पांच से छह हिस्सों में पेश किया गया है। अगले छह महीनों के भीतर इसके पूरे होने की उम्मीद है। इसे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान भी पेश किया जा सकता है। सिद्धारमैया सरकार ने कमेटी का कार्यकाल छह महीने बढ़ा दिया है, ताकि वह अंतिम रिपोर्ट पेश कर सके। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट को अधिकारियों की एक टीम को सौंपा गया है, जिसमें मुख्य सचिव शालिनी रजनीश, मुख्य सचिव के अतिरिक्त मुख्य सचिव और कुछ अन्य अधिकारी शामिल हैं।

Dainik Bhaskar छत्तीसगढ़ नक्सल संगठन में 60 प्रतिशत महिलाएं:फ्रंट लाइन में ये ही लड़ती हैं; 6 महीने में हुए बड़े एनकाउंटर में 36 से ज्यादा ढेर

छत्तीसगढ़ के नक्सल संगठन में महिला माओवादियों की संख्या पुरुषों से ज्यादा है। बस्तर संगठन में करीब 60 प्रतिशत महिलाएं हैं, जो मुठभेड़ के दौरान फ्रंट लाइन में रहकर लड़ती हैं। पिछले 6 महीने में हुए बड़े एनकाउंटर में 36 से ज्यादा महिलाएं मारी गईं। ये सभी 8 लाख तक की इनामी थीं। बस्तर आईजी सुंदरराज पी के मुताबिक नक्सल संगठन में पिछले कुछ सालों में बंदूक की नोंक पर युवतियों की भर्ती की गई। इन्हें साइकोलॉजिकल गुमराह किया जाता है, फिर लड़ाई की स्पेशल ट्रेनिंग देते हैं। कुछ एरिया कमेटी को महिला नक्सली ही लीड करती हैं। एनकाउंटर के दौरान उन्हें टॉप लीडर्स हमेशा फ्रंट लाइन में खड़ा कर मरने के लिए छोड़ देते हैं। इन डिवीजन में महिलाओं की ज्यादा संख्या नक्सलियों के उत्तर बस्तर डिवीजन कमेटी, माड़ डिवीजन, पश्चिम बस्तर डिवीजन कमेटी में महिलाओं की संख्या अधिक है। इसके अलावा नक्सली कमांडर हिड़मा और देवा की बटालियन नंबर 1 में 45 से 50 प्रतिशत महिलाएं ही हैं, जो इंसास, SLR जैसे राइफल चलाती हैं। माओवाद संगठन में सुजाता का नाम चर्चित है, जो DKSZC कैडर की है। इस पर 25 लाख रुपए का इनाम घोषित है। इस विषय पर भास्कर से बस्तर IG सुंदरराज पी ने खास बातचीत की, पढ़िए क्या कहा आईजी ने:- सवाल - अब तक हुए एनकाउंटर में कांकेर में 15, दंतेवाड़ा में 6, नारायणपुर की 2 अलग-अलग मुठभेड़ में 3 और 4 महिला माओवादियों को मारा गया है। क्या संगठन में इनकी संख्या ज्यादा है? इनकी स्ट्रैटजी कैसी होती है? जवाब - नक्सल संगठन के लोग परिजनों को धमका कर युवतियों को जबरदस्ती संगठन में शामिल करवाते हैं। जानकारी के मुताबिक नक्सल संगठन में करीब 60 प्रतिशत महिलाएं हैं। एक बार संगठन में वे भर्ती हो जाएं तो उन्हें कई तरह की कठिनाई होती है। उनके परिजनों से मिलने नहीं दिया जाता है। मौत हो जाए तो उन्हें अंतिम संस्कार में जाने नहीं दिया जाता। जब भी मुठभेड़ होती है तो सीनियर कैडर्स के नक्सली महिलाओं को फ्रंट लाइन पर लाकर खड़ा कर देते हैं। खुद को पीछे रखकर सुरक्षित रहने की कोशिश करते हैं। एनकाउंटर में महिला नक्सलियों का ही इस्तेमाल किया जाता है। सवाल - साइकोलॉजी के रूप में या ग्राउंड फाइटर्स के रूप में देखें तो नक्सली महिलाओं को ही क्यों आगे करते हैं? शारीरिक रूप से पुरुष ज्यादा स्ट्रांग होते हैं। फिर महिलाएं ही क्यों? जवाब - पिछले 40 सालों से

Dainik Bhaskar मणिपुर में पहली बार मीडियम मशीन गन का इस्तेमाल होगा:ड्रोन अटैक रोके जाएंगे; 3 दिन में दो हमले; 2 की मौत, 11 घायल हुए थे

केंद्र सरकार ने पहली बार मणिपुर में एंटी ड्रोन मीडियम मशीन गन के इस्तेमाल की मंजूरी दी है। यह फैसला 1-3 सितंबर के बीच राज्य में दो ड्रोन हमलों के बाद लिया गया। मणिपुर में इंफाल जिले के सेजम चिरांग गांव में 3 सितंबर की शाम उग्रवादियों ने ड्रोन अटैक किए थे। जिसमें में एक महिला समेत 3 लोग घायल हो गए थे। वहीं 1 सितंबर को सेजम चिरांग गांव में भी ड्रोन से हमला किया गया था। जिसमें दो की मौत और 9 घायल हुए थे। ये आशंका जताई जा रही है कि कुकी उग्रवादियों को ड्रोन वॉरफेयर के लिए म्यांमार से टेक्निकल सपोर्ट और ट्रेनिंग मिल रही है, या वे सीधे तौर पर इसमें शामिल हैं। मणिपुर सरकार ने इन ड्रोन अटैक की जांच करने के लिए हाई लेवल कमेटी का गठन किया था। पुलिस डीजी बोले- पहाड़ी इलाकों में केंद्र की तरफ से सुरक्षाबलों की 198 कंपनियां मौजूद पुलिस के डायरेक्टर जनरल राजीव सिंह ने कहा था कि यह ड्रोन हमला एक नई घटना है। हम इसे बहुत गंभीरता से ले रहे हैं। हमने दिल्ली में NSG के डायरेक्टर जनरल और उनकी टीम से बात की है। कई अन्य विशेषज्ञ भी आ रहे हैं और हमने ड्रोन हमलों की जांच और इन्हें रोकने के लिए एक समिति भी बनाई है। हमारे पास इन्हें रोकने के कुछ उपाय हैं, जिन्हें हम लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा जिन पहाड़ी इलाकों में हमले हुए हैं, वहां हमारे अभियान जारी हैं। मामले में हमें केंद्र भी पूरा समर्थन मिल रहा है। केंद्रीय बलों की लगभग 198 कंपनियां यहां मौजूद हैं। ड्रोन हमले के बाद गांव के सभी 17 परिवार भागे इंफाल वेस्ट जिले के कौत्रुक गांव में ड्रोन अटैक के बाद दहशत है। यहां के सभी 17 परिवार गांव छोड़कर भाग गए हैं। सभी अपनी जान बचाने के लिए घर छोड़कर सुरक्षित जगहों जैसे इंफाल, खुरखुल और सेक्माई चले गए हैं। लोगों में डर है। उन्हें अंदेशा है कि एक बार फिर बड़े स्तर पर हिंसा भड़क सकती है। कौत्रुक निवासी प्रियोकुमार ने बताया कि गांव में अब तक सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हुए हैं, जिससे सभी ने डर कर गांव छोड़ दिया है। इस बीच, कौत्रुक और आसपास के क्षेत्रों के छात्रों को डर है कि हिंसा भड़कने के कारण कॉलेज फिर से बंद हो सकता है। कुकी-जो संगठनों की मणिपुर में कुकीलैंड की मांग कुकी-जो समुदाय के लोगों ने 31 अगस्त को मणिपुर के चुराचांदपुर, कांगपोकपी और टेंग्नौपाल में रैलियां निकालीं थी। इन संगठनों क

Dainik Bhaskar विनेश फोगाट-बजरंग पूनिया आज कांग्रेस जॉइन कर सकते हैं:जुलाना या दादरी से विनेश की टिकट पक्की; बजरंग को प्रचार का जिम्मा

हरियाणा की पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया आज कांग्रेस जॉइन कर सकते हैं। इसको लेकर नई दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में कार्यक्रम रखा गया है। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) की ओर से जारी एक मैसेज में लिखा गया है कि इस कार्यक्रम में बड़ी हस्तियां पार्टी में शामिल होंगी। इसमें पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल शामिल होंगे। विनेश फोगाट विधानसभा चुनाव लड़ेंगी। उनकी जींद के जुलाना या दादरी से टिकट तय है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि विनेश 11 सितंबर को नामांकन करेंगी। जबकि बजरंग पूनिया को उनके प्रचार का जिम्मा मिला है। वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। असल में बजरंग झज्जर की बादली सीट मांग रहे थे। कांग्रेस ने यहां से मौजूदा विधायक कुलदीप वत्स का टिकट काटने से इनकार कर दिया। वहीं इसको लेकर अब WFI के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह का बयान भी वायरल हो रहा है। जिसमें वे कह रहे हैं कि जब मेरे खिलाफ आरोप लगाए गए तो मैंने तभी बोल दिया था कि यह साजिश कांग्रेस की है। दीपेंद्र हुड्डा और भूपेंद्र हुड्डा की है। मैंने पहले भी कहा था आज तो देश कह रहा है। अब मुझे इस बारे में कुछ कहने की जरूरत नहीं है। 2 दिन पहले राहुल गांधी से मिले थे दोनों रेसलर 4 सितंबर को विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात की थी। राहुल से मिलने के बाद वे कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल से भी मिले थे। इसके बाद मीटिंग में क्या चर्चा हुई, कांग्रेस ने इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी। अपने राजनीतिक दांव के बारे में भी दोनों पहलवानों ने चुप्पी साध रखी है। भूपेंद्र हुड्‌डा टिकट की कर रहे थे पैरवी कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय चुनाव समिति की मीटिंग में भूपेंद्र हुड्‌डा ने विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया को टिकट देने की पैरवी कर रहे थे। हुड्‌डा ने कहा था कि पहलवानों के साथ खड़े होने से हरियाणा में लोगों का समर्थन कांग्रेस के पक्ष में आएगा। केंद्रीय चुनाव समिति ने इसके लिए चर्चा के बाद हामी भर दी थी। हालांकि चुनाव लड़ने या न लड़ने और सीट चुनने का फैसला विनेश और बजरंग पर छोड़ दिया गया गया था। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक विनेश फोगाट को 3 सीटों का ऑफर दिया गया था, उनमें पहली 2 सीटें चरखी दादरी की दादरी और बाढड़ा थी। जबकि तीसरा ऑप्शन जींद की जुलाना सीट का दिया गया। जहां उनका ससुराल है। एयरपोर्ट पर दीपेंद्र

Dainik Bhaskar बाइक से आए बदमाश, फायरिंग कर बस लूटी:छतरपुर में यात्रियों से जेवर और कैश छीना; गाड़ी छोड़कर भाग निकले

छतरपुर में दो बदमाशों ने यात्री बस में लूट की वारदात को अंजाम दिया। उन्होंने हाथ देकर बस को रुकवाया। उसमें चढ़कर कट्‌टा लहराया और यात्रियों से पैसे-गहने छीन लिए। वारदात शुक्रवार सुबह करीब सवा 7 बजे राजनगर थाना क्षेत्र में कूटने डैम के पास की है। बस छतरपुर के लवकुश नगर से सतना जा रही थी। इसमें 20 यात्री थे। लूट के दौरान बदमाशों ने तीन हवाई फायर किए और मौके पर अपनी बाइक छोड़कर फरार हो गए। हाथ दिया तो सवारी समझकर बस रोकी ड्राइवर किशोरी कुशवाहा ने कहा- दोनों लुटेरों ने हाथ दिया तो हमने सवारी समझकर बस रोक दी। वे दोनों बस में चढ़ आए। अचानक एक ने कट्‌टा निकाल लिया। वे गाली-गलौज करते हुए फोन न करने की धमकी देने लगे। आगे की सीट पर बैठी महिलाओं से जेवर और कैश छीन लिया। विरोध करने पर कट्‌टे से हवाई फायर किए। कंडक्टर समीर अली ने बताया- आखिरी में लुटेरे मेरे पास आए और कैश लेकर खेत की तरफ भाग गए। हमने उतरकर देखा तो उनकी बाइक वहीं खड़ी थी। उसका नंबर नोट कर हम थाने में शिकायत करने पहुंचे। बच्चे के हाथ से 50 रुपए भी छीन लिए यात्रियों ने पुलिस को बताया- लुटेरे प्लेटिना बाइक पर आए थे। एक बदमाश ने कट्‌टा दिखाया जबकि दूसरा हमें धमकाकर जेवर, कैश और मोबाइल छीनने लगा। उसने एक बच्चे से हाथ से 50 रुपए भी छीन लिए। एक महिला यात्री ने कहा- मैं राजनगर जाने के लिए बस में चढ़ी थी। लुटेरों ने मेरा मंगलसूत्र, मेरी बेटी की सोने की चेन और मेरे पास रखे 20 हजार रुपए छीन लिए। रुपए मैंने बेटी के इलाज के लिए रखे थे। छतरपुर एसपी आगम जैन ने कहा- खजुराहो एसडीओपी सलिल शर्मा और राजनगर थाना प्रभारी सिद्धार्थ शर्मा मौके पर है। यात्रियों से पूछताछ कर रहे हैं। जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। खबर लगातार अपडेट की जा रही है...

Dainik Bhaskar भास्कर अपडेट्स:TDP नेता ने अपनी ही पार्टी के विधायक पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए, MLA सस्पेंड

आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी की एक महिला नेता ने अपने ही पार्टी के विधायक पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। नेता ने तिरुपति में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि चित्तूर जिले के सत्यवेदु विधानसभा क्षेत्र के विधायक कोनेटी आदिमुलम ने होटल में उनके साथ यौन उत्पीड़न किया। इसके बाद TDP के प्रदेश अध्यक्ष पल्ला श्रीनिवास राव ने कहा- विधायक को पार्टी से सस्पेंड कर दिया गया है। एक-दो दिन में आगे की कार्रवाई की जाएगी। आज की अन्य बड़ी खबरें... भाजपा की जम्मू-कश्मीर चुनाव के दूसरे फेज के लिए स्टार कैंपेनर की लिस्ट, मोदी-योगी और स्मृति इरानी का नाम भाजपा ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे फेज के लिए स्टार कैंपेनेर की लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में 40 लोगों का नाम है। लिस्ट में प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी का भी नाम है।

Dainik Bhaskar पूर्व मंत्री ने CM से नहीं मिलाया हाथ,VIDEO:नमस्ते कर बढ़ गए आगे, टिकट कटने से नाराज कंबोज को मनाने पहुंचे थे सैनी

हरियाणा में टिकट न मिलने पर पूर्व मंत्री कर्णदेव कंबोज ने BJP से इस्तीफा दे दिया। इसकी सूचना मिलते ही गुरुवार को सीएम नायब सैनी उन्हें मनाने के लिए यमुनानगर के रादौर पहुंचे। इस दौरान सीएम नायब सिंह सैनी ने जैसे ही हैंडशेक के लिए हाथ आगे बढ़ाया तो कंबोज हाथ जोड़कर आगे बढ़ गए। इसके बाद सीएम ने उनकी कलाई पकड़ी और पीठ पर सांत्वना वाला हाथ रख दिया। सीएम सैनी की कंबोज और उनके समर्थकों के साथ करीब डेढ़ घंटे तक मीटिंग हुई। जिसमें कंबोज समाज ने कर्ण देव के लिए टिकट की मांग की। समाज ने कहा कि कर्णदेव कंबोज को टिकट दिया जाए। चाहे वह रादौर से हो या फिर इंद्री से। आज सुबह तक कोई फैसला नहीं आता है तो कंबोज समाज बड़ा फैसला लेगा। कंबोज इंद्री के साथ रादौर से भी तैयारी कर रहे थे, लेकिन दोनों ही जगहों से टिकट काट दिया गया। ऐसे में उनके समर्थकों के बीच रोष है। इस्तीफे के बाद कंबोज ने कहीं 5 बड़ी बातें... 1. गद्दारों को तवज्जो दी जाती है गुरुवार सुबह सभी पदों से इस्तीफा देने के बाद कर्णदेव कंबोज ने कहा कि पार्टी में सच्ची नीयत से सेवा करने वालों को नहीं बल्कि गद्दारों को तवज्जो दी जाती है। ओबीसी समाज की अनदेखी की गई। 2. श्याम सिंह राणा को टिकट देने की क्या मजबूरी कंबोज ने कहा कि 2019 में मैं इंद्री से तैयारी कर रहा था, लेकिन आखिर समय पर टिकट रादौर से दे दिया गया। ऐसी क्या वजह थी कि 2019 में श्याम सिंह राणा का टिकट काटना पड़ा और ऐसी क्या मजबूरी आ गई कि इतनी गद्दारी करने के बावजूद भी इस बार श्याम सिंह राणा को टिकट देना पड़ गया। अगर संतोषजनक जवाब हुआ तो मैं पार्टी के साथ खड़ा होकर काम करूंगा। जिसने पार्टी के साथ गद्दारी की और पार्टी के उम्मीदवार को हराया, वह 5 साल हमें गालियां देता रहा, पीएम को भी नहीं बख्शा, लोकसभा चुनावों में उसको थोड़े से वोट आए और वह दोबारा भाजपा में शामिल हो गया, फिर भी उसे टिकट दे दिया गया। वह न सिर्फ पार्टी का गद्दार है, बल्कि सरकार का भी डिफाल्टर है। उसने 2014 में सरकार को चावल देने थे। इसकी जांच होनी चाहिए। 3. नायब सैनी रबड़ स्टांप कंबोज ने कहा मेरे पास सीएम का खुद ही कॉल आया था। वे गिड़गिड़ा रहे थे और इधर-उधर की बातें करते हुए कह रहे थे कि मुझे तो पता ही नहीं था कि ऐसा हो गया। कंबोज ने कहा कि जब आपको (नायब सैनी) पता ही नहीं है तो सीएम किस बात के हैं। जब सीएम इतनी

Dainik Bhaskar झारखंड सिपाही भर्ती में कैसे हुई 12 कैंडिडेट्स की मौत:एक्सपर्ट बोले- कोविड के बाद ऐसे केस बढ़े, परिवार ने कहा- स्वस्थ थे बच्चे

सीन 1 - पलामू प्रमंडल का सबसे बड़ा अस्पताल मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल, तारीख 29 अगस्त 2024। समय दोपहर के लगभग 12 बजे का वक्त। उत्पाद सिपाही की दौड़ में शामिल युवा अस्पताल की फर्श पर पड़े हैं। ना बेहतर इलाज की सुविधा है, ना कोई डॉक्टर। जिसकी हालत गंभीर है, उसे जमीन पर ही लेटा कर स्लाइन चढ़ाया जा रहा हैं। सीन 2 - पलामू में चियांकी हवाई अड्डा सात सेंटर में से एक, जहां उत्पाद सिपाही की दौड़ हो रही है। अरुण कुमार उत्पाद सिपाही की दौड़ में शामिल हुए। दिन 28 अगस्त और समय दोपहर के लगभग 1 बजे का वक्त... अरुण ने छह राउंड की दौड़ पूरी कर ली, लेकिन अचानक उनकी तबीयत खराब होने लगी और वो ठहर गए। एक अधिकारी ने कहा, आगे तक जाना है दौड़ पूरी करो। अरुण की तबीयत इतनी खराब हो रही है कि वो जमीन पर लेट गए और मदद के लिए चिल्ला लगे... झारखंड में लगभग 44 साल बाद उत्पाद सिपाही के पद के लिए भर्तियां शुरू हुई थी। इस दौड़ ने 12 लोगों की जान ले ली। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मौत के बढ़ते मामलों को देखते हुए इस पर रोक लगा दी। एडीजी आरके मलिक ने आज बताया कि 22 अगस्त से शुरू हुई उत्पाद सिपाही बहाली में 12 अभ्यर्थियों की मौत के बाद इसे स्थगित किया गया था। जिसके बाद इस प्रक्रिया को लेकर मुख्यमंत्री ने समीक्षा की। अब फिर से प्रक्रिया शुरू होगी। 10 सितंबर से दौड़ शुरू होगी । मौत की असल वजह के लिए पूरी रिपोर्ट का इंतजार उत्पाद सिपाही की दौड़ में मौत की शुरुआत जहां से हुई अब उस जगह को बाहर निकाल दिया गया है। पलामू के शेष अभ्यर्थियों को 19 और 20 सितंबर को रांची और अन्य सेंटर में आना होगा। उत्पाद सिपाही की दौड़ में अब तक 1 लाख 87 हजार 400 लोगों ने हिस्सा लिया है। जिसमें 1 लाख 17 हजार छात्र सफल हुए है। अभी 1 लाख 14 हजार बचे हुए है।जिनके लिए दौड़ 10 सितंबर से शुरू होगी। मौत की वजह एडीजी आरके मलिक ने हार्ट अटैक को बताया। उन्होंने विस्तार से टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कहा, सभी मामले में रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ साफ पाएगा। इसका साफ अर्थ है कि मौत कैसे हुई इस पर अब भी एक बड़ा सवालिया निशान है। अभ्यर्थियों की दौड़ से पहले बीपी की जांच होगी। जिन्हें लगे कि वह स्वस्थ्य नहीं है वो जांच करा सकते है। मौत की वजह... परिजनों ने कहा- स्वस्थ था हमारा बच्चा, तबीयत खराब होती तो मरने नहीं जाता प्रशासन मौत की वजह के

Dainik Bhaskar भागवत बोले-आप भगवान बने या नहीं, इसका फैसला लोग करेंगे:खुद न कहें कि ईश्वर बन गए हैं; मणिपुर पर कहा- यहां सुरक्षा की गारंटी नहीं

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा- अपने कर्मों में सफल होने के बाद आप भगवान बन गए हैं या नहीं, इसका फैसला लोगों को करना चाहिए। आप को खुद नहीं बोलना चाहिए कि आप भगवान बन गए हैं। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, शंकर दिनकर काने की सौंवीं जयंती पर पुणे में आयोजित कार्यक्रम में भागवात ने कहा- हमें जितना हो सके उतना अच्छा काम करना चाहिए। अपने अच्छे काम के जरिए, हर कोई एक सम्मानित व्यक्ति बन सकता है, लेकिन हम उस स्तर तक पहुंचे हैं या नहीं, यह फैसला हम नहीं, बल्कि दूसरे लोग करेंगे। हमें कभी यह ऐलान नहीं करना चाहिए कि हम भगवान बन गए हैं। दरअसल, लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भगवान ने मुझे किसी उद्देश्य से भेजा है। मैं जो भी करता हूं, परमात्मा ही मुझसे करते हैं। एक बार उद्देश्य पूरा हो जाए तो मेरा काम खत्म हो जाएगा। भागवत बोले- मणिपुर में सुरक्षा की गरंटी नहीं शंकर दिनकर 1971 तक मणिपुर में बच्चों को शिक्षित करने के अभियान में जुटे थे। मणिपुर को लेकर हो रही चर्चा के दौरान भागवत ने कहा- संगठन के कार्यकर्ता तमाम चुनौतियों और सुरक्षा की गारंटी न होने के बावजूद संघर्षग्रस्त उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में डटे हैं। भागवत ने कहा- मणिपुर में परिस्थितियां कठिन बनी हुई हैं। स्थानीय लोग अपनी सुरक्षा को लेकर सशंकित हैं। वहां कारोबार या सामाजिक सेवा के लिए गए लोगों के लिए माहौल अधिक चुनौतीपूर्ण है। इस सबके बावजूद संघ के कार्यकर्ता दोनों गुटों की मदद और माहौल सामान्य करने की कोशिश कर रहे हैं। न ही वे वहां से भागे, न ही हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहे। वे जनजीवन सामान्य करने, गुस्सा कम करने और राष्ट्रीय एकता की भावना बढ़ाने का काम कर रहे हैं। इसका नतीजा है कि वे स्थानीय लोगों का भरोसा जीतने में सफल रहे। भागवत बोले- NGP सब कुछ नहीं संभाल सकते भागवत ने कहा- मणिपुर में NGO सब कुछ नहीं संभाल सकते। संघ स्थिति सुधारने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। संघ सभी पक्षों से बातचीत कर रहा है। स्वयं सेवकों ने लोगों का विश्वास हासिल कर लिया है। स्थानीय लोगों ने सालों से संघ के काम को देखा है, इसलिए विश्वास किया है। भारत के सपने को पूरा करने में दो पीढ़ियां लगेंगी भागवत ने कहा- लगभग 40 साल पहले यहां की स्थिति और बदतर थी। इसके बावजूद लोग वहीं

Dainik Bhaskar सावित्री जिंदल को सांसद बेटे का समर्थन:बोले- मैं साथ हूं, पार्टी का फैसला भी सही; पूर्व विधायक ने लिया निर्दलीय लड़ने का फैसला

देश की सबसे अमीर महिलाओं में शुमार उद्योगपति सावित्री जिंदल की बीजेपी से बगावत को उनके बेटे नवीन जिंदल ने सही बताया है। बता दें कि नवीन कुरूक्षेत्र लोकसभा सीट से भाजपा सांसद हैं। एक इंटरव्यू में नवीन जिंदल ने कहा है कि "मैं पार्टी के टिकट वितरण के फैसले को सही मानता हूं, लेकिन मैं अपनी मां के फैसले का भी सम्मान करता हूं"। जिंदल ने कहा कि "मेरी मां के 4 बेटे और 5 बहनें हैं, हम कुल मिलाकर 9 भाई-बहन मां के साथ हैं। इसके अलावा पूरा हिसार मेरा परिवार है। मेरे पिता और मेरी मां का हिसार लंबे समय से कार्यक्षेत्र है, यहां के लोग भी उनका परिवार है। इस कारण से मां ने अपने परिवार की सेवा के लिए जो भी फैसला लिया है, मैं उसका सम्मान करता हूं और साथ भी दूंगा"। सिलसिलेवार ढंग से पढ़िए सावित्री जिंदल की बगावत 1. लिस्ट जारी होते ही शुरू हुई बगावत हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने बुधवार देर शाम को 67 कैंडिडेट की लिस्ट जारी की थी। हालांकि बुधवार की सुबह ही सावित्री जिंदल दिल्ली पहुंच चुकी थी। लेकिन जब उन्हें पता लगा की सूची में उनका नाम नहीं है तो वह हिसार वापस लौट आईं। लिस्ट आते ही पार्टी में बगावत शुरू हो गई है। कई पदाधिकारियों ने सोशल मीडिया पर ही इस्तीफा दे दिया। वहीं, सावित्री जिंदल की टिकट कटने के बाद हिसार के जिंदल हाउस में भी हलचल बढ़ गई। परिवार के कई करीबियों ने फोन कर इस मामले पर चर्चा की। 2. सुबह होते ही जिंदल हाउस पहुंचे समर्थक वहीं गुरुवार सुबह होते ही जिंदल परिवार के समर्थक जिंदल हाउस पहुंचने लगे। उन्होंने सावित्री जिंदल के निर्दलीय चुनाव लड़ने के नारे लगाए। समर्थक उनके पति स्व. ओपी जिंदल की फोटो भी लेकर आए थे। जहां सभी के साथ चर्चा के बाद देश की चौथी सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल ने भी बगावत का ऐलान कर दिया। भाजपा से टिकट न मिलने के बाद उन्होंने हिसार से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। 3. क्या बोलीं सावित्री जिंदल चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद सावित्री जिंदल ने समर्थकों से कहा- मैं भाजपा की प्राथमिक सदस्य नहीं हूं। मैं चुनाव न लड़ने के बारे में बोलने के लिए दिल्ली से वापस आई थी, लेकिन आपका प्यार और विश्वास देखकर मैं चुनाव लड़ूंगी। सावित्री मशहूर उद्योगपति और कुरूक्षेत्र से भाजपा सांसद नवीन जिंदल की मां हैं। हिसार सीट पर उनका मुकाबला भाजपा के मंत्री डॉ. कमल गुप्ता से ह

Dainik Bhaskar विधायक बचाने के लिए बंदूक रखते थे भजनलाल:केंद्रीय मंत्री बने तो पत्नी को MLA बनवाया; मुस्लिम बनने पर बेटे को पार्टी से निकाला

साल 1977, इमरजेंसी के बाद केंद्र में जनता पार्टी की सरकार बनी और मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री। ये आजादी के बाद पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार थी। इसमें भारतीय जनसंघ, भारतीय लोकदल और कांग्रेस से अलग हुए दल शामिल थे। हालांकि कुछ दिनों बाद ही जनता पार्टी के अलग-अलग धड़ों के बीच अनबन होने लगी। जनसंघ से आए सांसदों पर दबाव बनाया जाने लगा कि वे या तो जनता पार्टी छोड़ दें या RSS। इधर, हरियाणा की जनता पार्टी सरकार में भी उथल-पुथल मची थी। मुख्यमंत्री देवीलाल के करीबी ही बगावत पर उतारू थे। इस बीच 19 अप्रैल 1979 को देवीलाल ने जनसंघ से आए मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया। 6 जून 1979, मुख्यमंत्री देवीलाल हिसार और सिरसा के दौरे पर थे। उन्हें खबर मिली कि उनके चार मंत्रियों ने बगावत कर दी है। इनमें एक डेयरी मंत्री भजनलाल बिश्नोई भी थे। देवीलाल ने फौरन विधायकों को बचाने की कवायद शुरू कर दी। उन्होंने सिरसा जिले के तेजाखेड़ा में अपने किलेनुमा घर में 42 विधायकों को बंद कर लिया। कहा जाता है कि देवीलाल बंदूक लेकर विधायकों की रखवाली कर रहे थे। इधर, तख्तापलट के लिए भजनलाल के पास दो विधायक कम पड़ रहे थे। देवीलाल खेमे के दो विधायक तेजाखेड़ा से बाहर निकले। एक विधायक के घर शादी थी और दूसरे विधायक के चाचा बीमार थे। देवीलाल को लगा कि कुछ तो गड़बड़ है। वे बिन बुलाए विधायक के घर शादी में पहुंच गए। देवीलाल ने देखा कि भजनलाल तो वहां पहले से मौजूद हैं। दरअसल, तेजाखेड़ा में बंद विधायकों से मिलने उनकी पत्नियां और परिवार के लोग जाते थे। इनके जरिए ही भजनलाल अपना मैसेज इन विधायकों तक पहुंचाते थे। बाद में दोनों विधायक भजनलाल के खेमे में आ गए। 26 जून 1977, देवीलाल को बहुमत साबित करना था। उन्होंने संख्याबल जुटाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। एक दिन पहले ही देवीलाल ने इस्तीफा दे दिया। इस तरह भजनलाल तख्तापलट कर मुख्यमंत्री बन गए। भजनलाल बिश्नोई तीन बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। राजीव गांधी सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। उनके बेटे चंद्र मोहन हुड्डा सरकार में डिप्टी सीएम रहे। अब भजनलाल की तीसरी पीढ़ी राजनीति में है। हरियाणा के ताकतवर राजनीतिक परिवारों की सीरीज ‘परिवार राज’ के दूसरे एपिसोड में पढ़िए भजनलाल कुनबे की कहानी… 6 अक्टूबर 1930, संयुक्त पंजाब के बहावलपुर में जन्मे भजनलाल का परिवार बंटवारे के ब

Dainik Bhaskar भास्कर ओपिनियन:भारत के प्रयासों से रूस- यूक्रेन वार्ता टेबल पर आने को तैयार

ढाई साल तक लड़ने के बाद आख़िरकार रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन को समझ में आ रहा है कि जंग से किसी का भला नहीं होने वाला। शांति से ही विकास का रास्ता निकलता है। लगभग ढाई साल पहले शांति युग के सूत्रपात का दावा करने वाली यह दुनिया देखती रह गई थी और दो राष्ट्राध्यक्षों की ज़िद या तेलस्वार्थ ने अपने चरम पर पहुँचकर युद्ध का रूप ले लिया था। ऐसा नहीं है कि युद्ध टालने की कोशिशें नहीं की गईं लेकिन ये तमाम कोशिशें एकतरफ़ा थीं। अमेरिका और उसके साथी देश यूक्रेन को नाटो में मिलाने की गरज से उसके साथ खड़े हो गए थे और पुतिन के ग़ुस्से की यही सबसे बड़ी वजह थी। जिस तरह श्रीकृष्ण अंतिम मध्यस्थता करने हस्तिनापुर गए थे और सुई की नोक बराबर भी ज़मीन न देने का दुर्योधन का टका सा जवाब लेकर लौट आए थे वैसे ही बाइडन को भी लौटना पड़ा था। हालाँकि श्रीकृष्ण युद्ध टालने के पक्षधर थे जबकि बाइडन का मत बहुत हद तक एकतरफ़ा था। अमेरिका यूक्रेन का समर्थन करता रहा और रूस का ग़ुस्सा बढ़ता गया। अमेरिका चूँकि यूक्रेन के साथ था इसलिए चीन ने रूस और उसके राष्ट्रपति पुतिन के ग़ुस्से को भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ी। एक भारत ही था जो न अमेरिका से डरा और न ही चीन से। उसने अपने शांति प्रयास जारी रखे। वह अमेरिका के दबाव के बावजूद इस युद्ध में तटस्थ बना रहा। भारत की यही भूमिका दुनियाभर में सराही गई। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं जो रूस भी गए और यूक्रेन भी गए। दोनों राष्ट्रपतियों से मिले। शांति का संदेश दिया और भारत का यह मंत्र दोनों को अच्छी तरह समझाने में कामयाब रहे कि युद्ध आख़िर किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। बातचीत ही समाधान की धुरी है और दोनों देशों को यह बात समझ में आ गई। पुतिन अब यूक्रेन से बात करने को तैयार हो गए हैं और यह भी कह रहे हैं कि इस बातचीत में भारत मध्यस्थता कर सकता है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की तो भारत की भूमि पर शांति वार्ता करने का सुझाव रख चुके हैं। 1919 से 1939 की दुनिया में ब्रिटेन एक महाशक्ति था, लेकिन निर्द्वंद्व नहीं। उसके बाज़ू में फ़्रांस था, जर्मनी और इटली थे, सोवियत संघ और जापान भी था। रूस - यूक्रेन युद्ध के समय कहा जा सकता है कि अकेला अमेरिका था। और कोई नहीं था। लेकिन अमेरिका कमजोर हो चुका था और उसकी निष्पक्षता भी शक के दायरे में आ चुकी थी। यही वजह है कि वह युद्ध

Dainik Bhaskar 5वीं के बच्‍चों के ऑनलाइन एग्जाम, VR हेडसेट से लर्निंग:कभी फूस के छप्‍पर में बैठते थे, आज स्‍मार्ट TV से पढ़ते हैं बच्‍चे

बिहार के कैमूर जिले के एक छोटे से गांव तरहनी में एक ऐसा स्कूल है, जहां बच्‍चे क्‍लासरूम में ही दुनियाभर के जानवरों से भरा जू यानी चिड़‍ियाघर घूम आते हैं। पूरे सोलर सिस्‍टम की सैर करते हैं और भागकर चांद को पकड़ लेते हैं। कक्षा 1 से 5वीं तक के ये बच्‍चे मोबाइल पर ऑनलाइन एग्‍जाम देते हैं और इनके रिजल्‍ट भी ऑनलाइन ही जारी होते हैं। ये नजारा न्यू प्राथमिक विद्यालय तरहनी का है, जहां 35 साल के हेडमास्टर सिकेंद्र कुमार सुमन ने पूरे स्‍कूल को डिजिटल टेक्‍नोलॉजी से जोड़ दिया है। सिकेंद्र को शिक्षक दिवस के मौके पर नेशनल अवॉर्ड से सम्‍मानित किया गया है। लोगों के सहयोग से क्‍लास में लगाए स्मार्ट TV सिकेंद्र कहते हैं, 'ज्यादातर सरकारी स्कूल सरकार की फंडिंग पर ही पूरी तरह से निर्भर रहते हैं, लेकिन मैं जो बच्चों के लिए करना चाहता था उसके लिए सरकार की फंडिंग काफी नहीं थी। इसलिए सोचा क्यों न आसपास के लोगों और टीचर्स से ही सहयोग लिया जाए। टीचर्स और कुछ पेरेंट्स से पैसे जुटाकर स्‍कूल में स्‍मार्ट TV लगाया। टीचर्स ने अपनी तरफ से पहली से पांचवी तक के बच्चों के लिए स्मार्ट क्लास की शुरुआत की। बिहार के किसी सरकारी स्‍कूल में ऐसा पहली बार हुआ है। इसके अलावा स्कूल में बच्चों की सुरक्षा के लिए CCTV कैमरे भी इंस्टाल कराए गए हैं। बच्चों और टीचर्स को पीरियड खत्म होने और दूसरा पीरियड शुरू होने का इशारा देने के लिए इलेक्ट्रिक स्कूल बेल है। स्‍कूल के कैंपस को बहुत सुंदर डिजाइन किया है जो किसी प्राइवेट स्कूल के किंडरगार्टेन से भी सुंदर दिखता है।' 5वीं क्लास के सभी बच्चों के पास है ईमेल आईडी सिकेंद्र कहते हैं, 'मुझे हमेशा ये लगता था कि किताब और ब्‍लैकबोर्ड की पढ़ाई बच्‍चों के लिए काफी नहीं है। बच्चों को नई टेक्नोलॉजी भी सीखनी जरूरी है। तभी आगे चलकर वो बाकी दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चल पाएंगे। आज हमारे स्‍कूल में 5वीं क्‍लास तक के हर बच्‍चे के पास खुद की ईमेल आईडी है। सभी बच्चे ईमेल बनाना और ईमेल भेजना जानते हैं। हालांकि स्कूल में कंप्यूटर नहीं है, लेकिन कंप्यूटर की सभी चीजें हम बच्‍चों को स्मार्टफोन के जरिए बताते हैं। अब बच्चे अपने घरों से मोबाइल फोन लेकर आते हैं। यहां तक कि कई पेरेंट्स ने अब इसलिए ही फोन खरीदा है ताकि उनके बच्चे फोन के जरिए पढ़ाई कर सकें।' सिकेंद्र और स्‍कूल के दूसरे टीचर्स लग

Dainik Bhaskar देश का मानसून ट्रैकर:MP में अब तक 904 मिमी बारिश, सालाना औसत से 10% ज्यादा; 18 राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट

मौसम विभाग (IMD) ने शुक्रवार (6 सितंबर) को 18 राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। वहीं, IMD के मुताबिक, मध्य प्रदेश में 1 जून से 5 सितंबर तक 904.9 मिमी बारिश हुई। यह सालाना मानसून औसत से 10% ज्यादा है। राज्य में इस अवधि में सामान्य रूप से 823.9 मिमी बारिश होती है। भोपाल मौसम विभाग ने कि पूर्वी मध्य प्रदेश में 953.9 मिमी (6% ज्यादा), पश्चिमी मध्य प्रदेश में 867.2 मिमी (13% ज्यादा) बारिश हुई। श्योपुर जिले में प्रदेश में सबसे ज्यादा 1087.7 मिमी बारिश (81% ज्यादा) हुई, जबकि यहां सामान्य रूप से 600.5 मिमी बारिश होती है। रीवा में सबसे कम 572.6 मिमी बारिश (31% कम) हुई। यहां सामान्य रूप से 823.3 मिमी बारिश होती है। वहीं, राजस्थान में भारी बारिश का दौर जारी है। सवाई माधोपुर में तेज बारिश के कारण गुरुवार को एक मकान ढहने एक युवक की मौत हो गई। बूंदी में बाढ़ के हालात हैं। प्रदेश के 10 से ज्यादा जिलों में भारी बरसात हो रही है। इस कारण राजस्थान के कई डैम ओवरफ्लो हो गए हैं। मौसम विभाग के अनुसार, 8 सितंबर से प्रदेश में मानसून धीमा हो जाएगा। देशभर से बारिश की 4 तस्वीरें... 7 सितंबर को 15 राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट

Dainik Bhaskar आरजी कर के पूर्व-प्रिंसिपल की याचिका पर SC में सुनवाई:संदीप घोष ने वित्तीय अनियमिततओं का मामला CBI को सौंपे जाने के खिलाफ अपील की

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की याचिका पर आज (6 सितंबर) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। घोष ने मेडिकल कॉलेज में वित्तीय अनियमितताओं का केस CBI को सौंपने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ 4 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने 13 अगस्त को CBI को आरजी कर रेप-हत्या केस और अस्पताल में वित्तीय गड़बड़ी की जांच सौंपी थी। इस बीच 2 सितंबर को CBI ने संदीप घोष को गिरफ्तार किया था। 3 सितंबर को घोष को अलीपुर जजेस कोर्ट में पेश किया गया, जहां उसे और तीन अन्य लोगों को 8 दिन की CBI कस्टडी में भेज दिया गया। 2 सितंबर को संदीप घोष की गिरफ्तारी के बाद पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग ने नोटिफिकेशन जारी करके कहा कि घोष के खिलाफ जारी कानूनी कार्रवाई के चलते उन्हें सस्पेंड किया जा रहा है। इससे पहले 28 अगस्त को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने संदीप घोष की सदस्यता रद्द कर दी थी। CBI की जांच में खुलासा- संदीप घोष ने घटना के अगले दिन रेनोवेशन का ऑर्डर दिय इस बीच 5 सितंबर को CBI की जांच में सामने आया है कि ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर के अगले दिन ही संदीप घोष ने सेमिनार हॉल से लगे कमरों के रेनोवेशन का ऑर्डर दिया था। ट्रेनी डॉक्टर का शव 9 अगस्त की सुबह सेमिनार हॉल में ही मिला था। सूत्रों के मुताबिक CBI को ऐसे डॉक्यूमेंट मिले हैं, जिनमें इस बात की पुष्टि हुई है कि संदीप घोष ने 10 अगस्त को लेटर लिखकर स्टेट पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) को सेमिनार हॉल से लगे कमरे और टॉयलेट का रेनोवेशन करने को कहा था। इस परमिशन लेटर पर घोष के साइन भी हैं। रेप-मर्डर केस और वित्तीय गड़बड़ी के बीच कड़ी बन सकता है ये लेटर सूत्रों के मुताबिक पहले यह समझा जा रहा था कि PWD को रेनोवेशन का काम शुरू करने का निर्देश आरजी कर मेडिकल कॉलेज के किसी प्रशासनिक अधिकारी ने दिया था। लेकिन, परमिशन लेटर मिलने के बाद यह साफ हो गया है कि घोष को रेनोवेशन कराने की जल्दी थी। इन्वेस्टिगेशन कर रहे अधिकारियों का कहना है कि इस डॉक्यूमेंट से यह साफ हो रहा है कि घोष को रेनोवेशन कराने की जल्दी थी, लिहाजा यह डॉक्यूमेंट रेप-मर्डर केस और आरजी कर कॉलेज में वित्तीय गड़बड़ी के केस के बीच कड़ी जोड़ने में मदद कर सकता है। स्टूडेंट्स के विरोध के बाद रोक दिया गया था रेनोवेशन का काम 13 अगस्त की शाम को जब कलकत्ता